राज्यसभा में गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स यानी जीएसटी बिल पर आज चर्चा होगी, जिसके बाद इस बिल को शक्तिपरीक्षण से भी गुज़रना होगा. यह एक संविधान संशोधन बिल है. लोकसभा में इसे दो तिहाई बहुमत के साथ आसानी से पास करा लिया गया, लेकिन राज्यसभा में इसे लेकर मुश्किलें आ सकती हैं.
नई दिल्ली. राज्यसभा में गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स यानी जीएसटी बिल पर आज चर्चा होगी, जिसके बाद इस बिल को शक्तिपरीक्षण से भी गुज़रना होगा. यह एक संविधान संशोधन बिल है. लोकसभा में इसे दो तिहाई बहुमत के साथ आसानी से पास करा लिया गया, लेकिन राज्यसभा में इसे लेकर मुश्किलें आ सकती हैं.
दरअसल राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं है. कांग्रेस और दूसरे दल जो इसके विरोध में हैं, उनकी मांग है कि जीएसटी बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए, लेकिन इस मांग को वित्त मंत्री अरुण जेटली खारिज कर चुके हैं. जीएसटी बिल को संसद से पारित कराने के बाद देश के 29 राज्यों में से आधे से ज़्यादा राज्यों की विधानसभाओं में भी मंज़ूरी लेनी होगी. जीएसटी को अगले साल अप्रैल से अमल में लाने की योजना है. मोदी सरकार प्रस्तावित गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स को 1947 के बाद का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म बता रही है-
जानें क्या है जीएसटी
-ये अलग-अलग टैक्स ख़त्म कर उनकी जगह एक ही टैक्स प्रणाली लागू करने के लिए है.
-जीएसटी लागू होते ही सेंट्रल सेल्स टैक्स, एक्साइज़, लग्ज़री, एंटरटेंनमेंट, वैट जैसे अलग-अलग सेंट्रल और लोकल टैक्स ख़त्म हो जाएंगे.
-इससे पूरे देश में एक प्रोडक्ट पर लगभग एक जैसा ही टैक्स लगेगा.
-इसके लागू होने के बाद टैक्स का बराबर हिस्सा केंद्र और राज्यों को मिलेगा.
-जीएसटी को अप्रैल 2016 से से सरकार लागू करना चाहती है, हालांकि इस पर अभी आम सहमति नहीं बन पाई है.
जीएसटी को लेकर विरोध क्यों?
-बिल को सलेक्ट कमेटी को भेजना चाहती है कांग्रेस
-राज्यों को आशंका कि उन्हें पहले से कम टैक्स मिलेगा
-27% से ज़्यादा जीएसटी चाहते हैं राज्य
-पेट्रोल डीज़ल को जीएसटी से बाहर रखना चाहते हैं कुछ राज्य
IANS से भी इनपुट