नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार विपक्ष के दबाव के कारण रियल एस्टेट विधेयक को राज्यसभा की एक प्रवर समिति को भेजने के लिए तैयार हो गई है. समिति के गठन को बुधवार को सदन की कार्य सूची में शामिल किया गया. समिति में 20 सदस्य होंगे, जिसमें सभी पार्टियों के प्रतिनिधि शामिल रहेंगे.
रियल एस्टेट पुनर्गठन एवं विकास विधेयक, 2013 का लक्ष्य रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक नियामक प्राधिकरण की स्थापना करना है. इसे पिछले सप्ताह राज्यसभा में विपक्ष के दबाव के कारण स्थगित कर दिया गया था, क्योंकि विपक्ष इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने की मांग कर रहा था. विपक्ष ने मंगलवार को विधेयक को सदन की कार्य सूची में शामिल करने पर आपत्ति जताई थी. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्होंने सभी पार्टियों से विचार-विमर्श किया है और जल्द सदन में आने का वादा किया.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को राजग सरकार पर बिल्डरों के हित में विधेयक लाने का आरोप लगाया था और कहा था कि यह विधेयक कांग्रेस सरकार के वक्त लाए गए सभी अच्छे प्रावधानों को कमजोर कर रहा है. विधेयक में रिहायशी रियल एस्टेट परियोजनाओं के खरीददारों और प्रमोटरों के बीच वित्तीय लेनदेन को नियमित करने का प्रावधान है. इसमें रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटीज (आरईआरए) के नाम से एक राज्यस्तरीय नियामक प्राधिकरण बनाने का भी प्रावधान है.
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, रिहायशी रिएल एस्टेट परियोजना को आरईआरए से पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. प्रोमोटर भी बिना पंजीकरण के परियोजना को बेचने के लिए न तो बुक कर पाएंगे न ही इसे पेश कर पाएंगे. रिएल एस्टेट एजेंटों के लिए भी आरईआरए से पंजीयन कराना आवश्यक होगा.
IANS
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