पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रेल बजट पर निराशा जताते हुए कहा कि इसमें सिर्फ औपचारिकताएं पूरी की गईं. नीतीश ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा संसद में पेश रेल बजट पर कहा, “इस बजट से बिहार को निराशा मिली है. नई परियोजनाओं के लिए भी रेलवे के पास कोई योजना नहीं है और न ही ट्रेनों के समय पर चलने व स्टेशनों की साफ-सफाई को ही प्राथमिकता दी गई है.”
‘किराया घटना चहिए’
उन्होंने कहा कि कहा गया है कि किराया नहीं बढ़ाया गया, तो इस बार तो किराया घटना चहिए था. जब दुनिया के बाजार में तेल की कीमत घट गई और रेलवे तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, तो वैसी स्थिति में यात्री और माल भाड़ा घटना चाहिए था.
‘सरकार खजाना खोले’
उन्होंने केन्द्र सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार खजाना खोले और रेलवे पर ध्यान दे. नीतीश ने रेलवे की हालत को दयनीय बताया और कहा कि रेल बजट में आमदनी और खर्च का कोई भी ब्योरा नहीं दिया गया है.
‘ट्रेनों में सुविधाओं के बारे में कुछ साफ नहीं’
उन्होंने कहा कि एक बात विचित्र लगी कि ट्रेनों में सुविधाओं के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है. नीतीश ने कहा कि जब वह रेल मंत्री थे तो जन साधारण एक्सप्रेस ट्रेन चलाई गई थी और वह पहली ऐसी ट्रेन थी, जिसमें सारे डिब्बे अनारक्षित थे और पहली बार अनारक्षित डिब्बों को एक-दूसरे से जोड़ा गया था. उसमें कई तरह के सुरक्षा के उपाय किए गए थे और यात्रियों की सुविधा का ख्याल रखा गया था.
‘जन साधारण एक्सप्रेस ट्रेन की क्या आवश्यकता’
नीतीश ने कहा कि वह नहीं जानते कि जो जन साधारण एक्सप्रेस ट्रेन है उसे और बेहतर बनाने के बजाए एक नया नाम देकर चलाए जाने की क्या आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि रेलवे के विकास के दृष्टिकोण से देखा जाए तो किसी भी क्षेत्र में कोई आशा की किरण दिखाई नहीं पड़ती है.
‘क्षेत्रीय संतुलन का भी ख्याल नहीं’
उन्होंने कहा, “रेल मंत्री सुरेश प्रभु के बजट में ‘विजन’ की कमी साफ तौर पर दिख रही है और बजट में क्षेत्रीय संतुलन का भी ख्याल नहीं रखा गया है.” उन्होंने कहा कि इस रेल बजट में आशा की कोई किरण नजर नहीं आ रही है.