उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक साल पूरा करने वाली है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने अपराध पर नकेल कसने के लिए अब तक करीब 1350 एनकाउंटर किए हैं. इन मुठभेड़ों में 43 खूंखार अपराधियों को मार गिराया गया. पिछले 11 माह के आंकड़ों पर नजर डाले तो करीब 3100 वांटेड बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. अपराध को लेकर सूबे की तस्वीर अब कुछ ऐसी है कि बदमाश खुद यूपी पुलिस से रहम की भीख मांग रहे हैं.
लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक साल पूरा करने वाली है. इस एक साल में सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि अगर अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने को कहा जाए तो यह अतिश्योक्ति बिल्कुल नहीं होगा. पिछले साल भर में यूपी में अपराधी पुलिसवालों से पनाह मांगते हुए दिखे. कई बार ऐसी तस्वीरें भी सामने आईं जिन्हें देखकर साफ लगता था कि योगी सरकार सख्त लहजे में यह साफ-साफ कह चुकी है कि अपराधियों प्रदेश छोड़ो वरना दुनिया छोड़ो. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पिछले 11 माह में यूपी पुलिस ने करीब 1350 एनकाउंटर किए हैं यानी हर महीने 100 से भी ज्यादा एनकाउंटर. एनकाउंटर यानी मुठभेड़, जिसे कुछ लोग सरकारी कत्ल का भी नाम देते हैं.
अपराध पर नकेल कसने के यह आंकड़े यहीं नहीं थमते. पिछले 11 महीने में करीब 3100 वांटेड अपराधी गिरफ्तार किए गए तो 43 खूंखार अपराधियों को मार गिराया गया. पुलिस ने बताया कि जिन बदमाशों का एनकाउंटर किया गया उनमें आधे से ज्यादा इनामी बदमाश थे. यूपी पुलिस के इस एक्शन और खौफ का अंदाजा महज इसी बात से लगाया जा सकता है कि योगी सरकार के दौरान करीब साढ़े 5 हजार अपराधियों ने अपनी जमानत तक रद्द करवा दी. सूबे में अपराध पर नकेल कसने के योगी सरकार के इस फॉर्मूले पर सवालिया निशान भी उठ रहे हैं.
विपक्षी दलों की मानें तो योगी सरकार ने राज्य से क्राइम खत्म करने का सबसे आसान रास्ता चुन लिया है और वह यह है कि क्राइम खत्म करना है तो क्रिमिनल को ही खत्म कर दो. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट में फर्जी एनकाउंटर के जो आंकड़े सामने आए हैं वो बेहद हैरान करने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जनवरी, 2005 से लेकर 31 अक्टूबर, 2017 तक देश भर में 1241 फर्जी एनकाउंटर हुए हैं. इनमें 455 मामले यूपी पुलिस के खिलाफ थे. इन 12 वर्षों में यूपी पुलिस की हिरासत में 492 लोगों की भी मौत हुई. यूपी के बाद असम, आंध्र प्रदेश और मणिपुर का नंबर है.
सूत्रों की मानें तो यूपी एसटीएफ और तमाम जिला पुलिस प्रमुखों को घोषित अपराधियों की लिस्ट भेजी गई है. उसी लिस्ट के हिसाब से यूपी में एनकाउंटर हो रहे हैं. 11 साल पहले जिस संसद में रोते हुए योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों से संरक्षण की मांग की थी, आज वही अपराधी खुद योगी सरकार से रहम की भीख मांग रहे हैं. वक्त बदल गया है और पुलिस के काम करने का तरीका भी. दरअसल इस बार पुलिस अपने बचाव में सोशल मीडिया का भी बखूबी इस्तेमाल कर रही है. हाल में पुलिस ने संजय नाम के हिस्ट्रीशीटर का एनकाउंटर किया था. पुलिस ने संजय के रिश्तेदारों और इलाके के अन्य लोगों से बातचीत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाला, जिसमें वह बता रहे हैं कि संजय के एनकाउंटर के बाद वह कितनी राहत महसूस कर रहे हैं. दूसरी ओर शामली के नौशाद उर्फ डैनी के एनकाउंटर पर जब खाकी वर्दी पर सवाल उठने लगे तो पुलिस ने एक ऑडियो क्लिप जारी कर दी. इस क्लिप के मुताबिक, डैनी को एनकाउंटर से पहले सरेंडर करने के लिए कहा गया था लेकिन वह नहीं माना.
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