अखिलेश के मंत्रियों पर एक्शन नहीं लेना भारी पड़ा लोकायुक्त को

यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने 9 साल से राज्य के लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा से पिछले 5 साल के काम-काज का हिसाब मांगकर SP सरकार को तगड़ा झटका दिया है क्योंकि मेहरोत्रा पर अखिलेश के मंत्रियों के खिलाफ शिकायत पर एक्शन नहीं लेने के आरोप लग रहे थे.

Advertisement
अखिलेश के मंत्रियों पर एक्शन नहीं लेना भारी पड़ा लोकायुक्त को

Admin

  • January 2, 2016 3:48 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
लखनऊ. यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने 9 साल से राज्य के लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा से पिछले 5 साल के काम-काज का हिसाब मांगकर SP सरकार को तगड़ा झटका दिया है क्योंकि मेहरोत्रा पर अखिलेश के मंत्रियों के खिलाफ शिकायत पर एक्शन नहीं लेने के आरोप लग रहे थे.
 
सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल ने लोकायुक्त से उनके 5 साल के काम का हिसाब इसलिए तलब किया है क्योंकि मेहरोत्रा अखिलेश सरकार के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ मिली शिकायतों पर कोई नतीजा देने वाली जांच नहीं कर रहे हैं.
 
लोकायुक्त तो बस बहाना हैं, मुलायम सिंह निशाना हैं
 
जस्टिस मेहरोत्रा को 2006 में तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने राज्य का लोकायुक्त नियुक्त कियाथा. मुलायम सिंह की सरकार चली गई और फिर मायावती मुख्यमंत्री बनीं. मेहरोत्रा ने 2011-12 में मायावती के एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के दूसरे मामलों को लेकर हटाने की सिफारिश की थी जिसके बाद मायावती ने उन सबको बर्खास्त कर दिया था.
 
साल 2012 में यूपी में हुकुमत फिर बदली और अखिलेश यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी. कुछ समय बाद लोकायुक्त मेहरोत्रा का रिटायरमेंट आ गया लेकिन माया के मंत्रियों के खिलाफ रिपोर्ट देने की वजह से सपा सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए  मेहरोत्रा को दो साल का एक्सटेंशन दे दिया.
 
मेहरोत्रा को पद पर बनाए रखने के लिए बदले गए नियम
 
मेहरोत्रा को पद पर बनाए रखने के लिए नियमों में बदलाव के दौरान ये प्रावधान भी कर दिया गया कि सरकार जब तक नए लोकायुक्त का चयन नहीं करती है तब तक मौजूदा लोकायु्क ही कार्यकारी लोकायुक्त के तौर पर काम करता रहेगा.
 
संयोग देखिए कि मेहरोत्रा का कार्यकाल और सेवा विस्तार भी खत्म हो गया लेकिन नए लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं होने के कारण वो पद पर बने हुए हैं.
 
 
मेहरोत्रा के बारे में राजभवन को शिकायतें मिली थी कि सरकार से नजदीकी की वजह से अखिलेश यादव सरकार के चार साल के कार्यकाल के दौरान एक भी मंत्री, विधायक या अधिकारी के खिलाफ लोकायुक्त ने जांच नहीं की.
 
आरोप लगा कि जिसकी शिकायत आई भी, उसे रफा-दफा कर दिया गया. सपा नेताओं के भ्रष्टाचार की लोकायुक्त द्वारा अनदेखी गिनाने वाले लोग मंत्री गायत्री प्रजापति का उदाहरण देते हैं. 
 
राम नाईक राज्यपाल का पद छोड़ें और खुलकर राजनीति करें: शिवपाल
 
राज्यपाल द्वारा लोकायुक्त से पांच साल के काम का हिसाब मांगने से समाजवादी पार्टी सरकार भड़क गई है. राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि राज्यपाल पद के मर्यादा में काम करें या पद छोड़कर खुलकर राजनीति करें.
 
राज्यपाल के पत्र से मेहरोत्रा की हवाईयां उड़ी हुई है. मेहरोत्रा दबे शब्दों में इसे पद का दुरुपयोग और नियम विरुद्ध बता रहे हैं लेकिन राज्यपाल पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए जानकारी भेजने की बात कह रहे हैं.
 
राज्यपाल ने पत्र में क्या लिखा है लोकायुक्त को
 
“लंबे समय से आप यूपी के लोकायुक्त का कार्यभार देख रहे हैं. इस दौरान आपने कई मामलों की जांच की है और कई मामलों की आपसे शिकायत हुई है. यूपी में नए लोकायुक्त और उपलोकायुक्त की नियुक्ति होनी है लिहाजा मुझे आपके द्वारा पिछले पांच सालों में किए गए काम का ब्यौरा चाहिए जिससे कि इन पदों पर नियुक्त होने वाले लोगों को विषयों की जानकारी उपलब्ध हो सके. उम्मीद करता हूं कि इस पत्र के मिलने के बाद आप मुझे तत्काल ब्यौरा उपलब्ध कराएंगे.”

Tags

Advertisement