नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों को सीधा आदेश दिया है कि वे सरकार के कामकाज के बारे में अपने क्षेत्र के लोगों को बताएं. इस आदेश के बाद अब सभी मंत्री जनवरी से पूरे देश में जाकर संसद में कामकाज रोकने के विपक्ष के तौर-तरीकों के बारे में लोगों को बताएंगे जिनकी वजह से कई विधेयक अटके हुए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर मंत्रिपरिषद की बैठक में मंत्रियों से कहा कि सरकार जो कुछ कर रही है, उसे लेकर आशावादी रहें और विपक्ष के हमलों से प्रभावित नहीं हों जो झूठ पर आधारित अभियान चला रहा है. करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठक में प्रधानमंत्री ने अपने कैबिनेट सहयोगियों से सरकार के कामकाज के बारे में संदेश लोगों तक पहुंचाने और उनसे बेहतर संपर्क साधने की चुनौती स्वीकारने को कहा. विस्तृत योजना बाद में तैयार की जाएगी लेकिन मंत्रियों से जनवरी के दूसरे सप्ताह से संसदीय क्षेत्रों में दौरे शुरू करने और उनके लिए निर्धारित क्षेत्रों में कम से कम 30 मिनट बिताने को कहा गया है.
हर मंत्री के हिस्से में आए 2 संसदीय क्षेत्र
पीएम मोदी की राय थी कि केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए बजट तैयार करने में लोगों की भागीदारी बढ़ानी चाहिए और ऐसा नहीं हो कि वित्तीय वर्ष खत्म होने के कगार पर आने पर धन खर्च करने को लेकर गहमागहमी की स्थिति बने. यह भी निर्णय लिया गया कि प्रत्येक मंत्री दो संसदीय क्षेत्रों का दौरा करेंगे और लोगों को बताएंगे कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से सरकार ने आम आदमी के हित में क्या फैसले लिए हैं.
जनता तक पहुंचनी चाहिए सरकार की उपलब्धियां
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री चाहते हैं कि सरकार की उपलब्धियों को यथासंभव साधारण भाषा में जनता तक पहुंचाया जाए. बैठक में आम राय थी कि 23 दिसंबर को शीतकालीन सत्र समाप्त होने वाला है और अब समय आ गया है कि सरकार संसद के बाहर विपक्ष के बारे में लोगों को सचाई बताने पर ध्यान केंद्रित करे.
यह राय इन संकेतों के बीच आई है कि सरकार शीतकालीन सत्र में जीएसटी विधेयक पारित नहीं करा पाएगी जहां कांग्रेस नेशनल हेराल्ड मामले और अन्य विषयों पर संसद में कामकाज बाधित कर रही है. सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने मंत्रियों से कहा कि राजग सरकार ने देश के लिए काफी काम किया है इसलिए उन्हें आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए.
बैठक में NDA सरकार के सभी मंत्री मौजूद रहे
बैठक में लोजपा के रामविलास पासवान और आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा जैसे गठबंधन सहयोगी दलों के नेताओं समेत राजग के सभी मंत्री उपस्थित थे. राजनाथ सिंह, वेंकैया नायडू और मनोहर पर्रिकर जैसे वरिष्ठ भाजपाई मंत्रियों ने भी बैठक में शिरकत की. हालांकि अरुण जेटली बैठक में मौजूद नहीं थे जिन पर डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाए हैं.