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AAP ने जेटली पर गलत आरोप लगाने का दुस्साहस किया: BJP

नई दिल्ली. दिल्ली एण्ड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन यानी डीडीसीए में गड़बड़ी को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर आम आदमी पार्टी के आरोपों पर पलटवार में बीजेपी ने कहा है कि AAP ने अपने चहेते भ्रष्ट अधिकारी को बचाने के लिए जेटली पर गलत आरोप लगाने का दुस्साहस किया है.
बीजेपी नेता और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बीजेपी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ चल रही जांच से ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी आम आदमी पार्टी के राजनीतिक आरोपों की बौछार की निंदा करती है.
यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुई जांच में बेदाग निकले थे जेटली- बीजेपी
उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने चहेते भ्रष्ट अधिकारी को बचाने के लिए नीच राजनीति पर उतर आए हैं जो अन्ना हजारे के आंदोलन के मूल्यों के भी खिलाफ है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी जिस रिपोर्ट का हवाला दे रही है वो रिपोर्ट भी डीडीसीए ने ही तैयार की है. ईरानी ने कहा कि जेटली कर्मठ और योग्य नेता हैं जिनके पीछे पूरी पार्टी खड़ी है.
ईरानी ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान ही डीडीसीए में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कराई गई थी और पूरी जांच रिपोर्ट में कहीं भी जेटली का नाम नहीं आया. उन्होंने कहा कि डीडीसीए को लेकर जितनी भी जांच रिपोर्ट आई हैं उनमें कहीं भी जेटली का नाम नहीं है और सारे आरोप झूठे हैं.
बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर ने भी किया जेटली का बचाव
जेटली के बचाव में बीसीसीआई के सचिव और बीजेपी युवा मोर्चा अध्यक्ष अनुराग ठाकुर भी उतर आए हैं. बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि अरुण जेटली ईमानदार राजनेता हैं.
बीसीसीआई सचिव ठाकुर ने कहा कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल एक भ्रष्ट अधिकारी के काम पर पर्दा डालने के लिए अरुण जेटली का नाम बीच में घसीट रहे हैं.
डीडीसीए पर अनियमितता के क्या हैं आरोप ?
डीडीसीए में अनियमितता पर दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग ने चेतन सांघी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी. सांघी ने हाल में अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें उन्होंने डीडीसीए में घोटालों का खुलासा किया है. रिपोर्ट में 2002 से अब तक की जांच की गई है.
डीडीसीए ने फ़िरोज़शाह कोटला के दोबारा निर्माण का फैसला लिया था जो 2002 से 2007 तक चला. इस पर 24 करोड़ ख़र्च होने थे पर ख़र्च 114 करोड़ रुपए हुए. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेडियम के अधिकतर कामों के लिए टेंडर निकालने का कोई रिकॉर्ड नहीं है. इसके इलावा डीडीसीए ने स्टेडियम में 12 कॉर्पोरेट बॉक्स बनाए जो उचित प्रक्रिया के बिना कंपनियों को लीज़ कर दिए गए.
रिपोर्ट के अनुसार स्टेडियम के निर्माण में शामिल अधिकतर कंपनियां डीडीसीए के अधिकारियों की ‘फ्रंट’ कंपनियां हैं इसीलिए बजट जान-बूझकर कई गुना बढ़ाया गया. डीडीसीए फ़िरोज़शाह स्टेडियम को शहरी विकास मंत्रालय से लीज़ पर लेकर चलाता है. इसके बदले डीडीसीए मंत्रालय को हर साल लगभग 25 लाख रुपए देता है. मंत्रालय को आज की दर से 16 करोड़ रुपए सालाना मिलने चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार इस विवाद के कारण डीडीसीए के पास स्टेडियम चलाने के लिए फिलहाल कोई लीज़ नहीं है.

 

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