नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की आज शाम चार बजे नेशनल हेराल्ड केस में पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी होनी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने एक दिन पहले ही पेशी के खिलाफ दायर की गई सोनिया-राहुल की याचिका को ख़ारिज कर दिया था. कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने कहा कि वह आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.
कांग्रेस प्रवक्ता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘हम फैसले को चुनौती देंगे. यह आश्चर्य है कि मामले में आज फैसला आएगा, यह हाई कोर्ट की लिस्ट में नहीं था. फोन पर सुबह अचानक सूचना दी गई.’ बीजेपी नेता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर दिल्ली की निचली अदालत ने सोनिया और राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड केस में हाजिर होने के लिए समन भेजा था. लेकिन दोनों ने इस समन को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
क्या है नेशनल हेराल्ड केस
द एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (टीएजेएल) नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है. कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को टीएजेएल की 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया. इसका अर्थ यह हुआ कि पार्टी ने टीएजेएल को 90 करोड़ का लोन दे दिया. इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है. बाकी की 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास है.
‘हवाला कारोबार का अंदेशा’
इसके बाद टीएजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर ‘यंग इंडियन ‘ को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था. 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को टीएजेएल की 99 फीसदी शेयर हासिल हो गई. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया. यानी ‘यंग इंडियन’ को मुफ्त में टीएजेएल का स्वामित्व मिल गया. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस 90 करोड़ रुपये के प्रकरण में हवाला कारोबार का शक जताया है.
क्या हैं स्वामी के आरोप
स्वामी का आरोप है कि यह सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 1,600 करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया. अपनी याचिका में बीजेपी नेता ने लिखा है कि साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को टीजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया है. हेराल्ड हाउस को फिलहाल पासपोर्ट ऑफिस के लिए किराए पर दिया गया है. स्वामी का कहना है कि हेराल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी थी, इस लिहाज से उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.