बेंगलुरु. मोदी सरकार को लेकर प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने बेंगलुरु साहित्य उत्सव में कहा कि यह सरकार देश की अबतक सबसे अधिक बुद्धिजीवी विरोधी है और विभिन्न शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संगठनों में उसकी नियुक्तियों से यह स्पष्ट हो जाता है.
शनिवार के दिन साहित्य उत्सव के पहले दिन ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सामने आठ खतरे’ विषयक परिचर्चा में कहा, ”मैं मानता हूं कि समसामयिक भारत के इतिहास के छात्र के रूप में, जिसने पिछले 45 सालों में हर सरकार देखी हो, (मेरे हिसाब से) वर्तमान में दिल्ली में सत्तासीन सरकार अबतक की सबसे अधिक बुद्धिजीवी विरोधी है और यह नियुक्तियों से स्पष्ट हो जाता है. पहलाज निहलानी और गजेंद्र चौहान की नियुक्तियों को देखिए. उनकी नियुक्तियां क्या दर्शाती हैं? यह विद्वानों, साहित्य एवं कला के प्रति पूर्ण अवमानना दर्शाती है.’
गुहा ने कहा, ‘यदि देश में ऐसी सरकार हो, जो बुद्धिजीवी विरोधी और संकुचित विचारवाली तथा जिसकी शिक्षा एवं संस्कृति आरएसएस से निर्देशित हो, इसके अलावा आप जो जनविमर्श देख रहे हैं, उसकी दिशा और दशा कट्टरपंथी और चमचे तय कर रह हैं. ऐसे लोगों को सरकार ने अकादमिक और सांस्कृतिक पदों पर नियुक्त किया है.’