नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेता भले ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात करें लेकिन सच ये है कि बीजेपी कभी टॉलरेंट पार्टी नहीं बन सकती क्योंकि बीजेपी के लिए टॉलरेंट होना सुसाइड करने जैसा है.
प्रेस काउंसिल के पूर्व चेयरमैन जस्टिस काटजू ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर लिखा है कि बीजेपी के टॉलरेंट नहीं बनने की वजह वोट बैंक के गणित में छुपी है. उन्होंने लिखा है कि ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार, बनिया जैसी जातियों बीजेपी का सवर्ण हिंदू वोट बैंक है जो बिहार और यूपी जैसे राज्यों में 16-17 परसेंट से ज्यादा नहीं हैं.
ओबीसी-एससी वोट की खातिर सांप्रदायिक तनाव फैलाती है बीजेपी- काटजू
काटजू कहते हैं कि कोई पार्टी 16-17 परसेंट वोट के साथ चुनाव नहीं जीत सकती. उसे जीतने के लिए कम से कम 31-32 परसेंट वोट चाहिए. काटजू ने कहा कि यही वजह है कि बीजेपी को ओबीसी और एससी जातियों के वोट को अपनी ओर खींचने के लिए सांप्रदायिक तनाव और असहिष्णुता फैलाना पड़ता है.
उन्होंने कहा कि लोकसभा में 1984 के 2 सांसद से 1999 में 183 सांसद तक बीजेपी के पहुंचने का रहस्य लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा और बाबरी मस्जिद रामजन्मभूमि आंदोलन में छुपा था जिसका मकसद लोगों में सांप्रदायिक उभार पैदा करना था और वो इसमें सफल रहे.
बीजेपी नेताओं की चुटकी लेते हुए जस्टिस काटजू ने कहा है, ‘तो बीजेपी नेताओं सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने और अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए नई तरकीबें सोचो नहीं तो आप लोग वापस 1984 में पहुंच जाओगे. पुनर्मूषको भव’.