नई दिल्ली: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुओ मोटो (स्वत: संज्ञान) लेते हुए सुनवाई की है। एनटीएफ का गठन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) का गठन किया है। कोर्ट की निगरानी कोर्ट की निगरानी में इस टास्क […]
नई दिल्ली: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुओ मोटो (स्वत: संज्ञान) लेते हुए सुनवाई की है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) का गठन किया है।
कोर्ट की निगरानी में इस टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा और इसमें डॉक्टर भी शामिल होंगे।
Suo moto का अर्थ ?
Suo moto एक लैटिन शब्द है जिसका मतलब है ‘स्वत: संज्ञान’। इसके तहत कोर्ट अपने मर्जी से ही केस शुरू कर सकता है।
जनता के नैतिक अधिकार
भारत में कोर्ट यह फैसला तब लेता है जब उसे लगता है कि जनता के नैतिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
याचिका की जरूरत नहीं है
इस कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट बिना किसी पक्ष द्वारा औपचारिक रूप से याचिका दायर किए बिना भी फैसला ले सकता है।
कौन ले सकता हैं फैसला
अनुच्छेद 32 और 226 के तहत सुओ मोटो का फैसला सिर्फ सुप्रीम कोर्ट (एससी) और हाईकोर्ट ही ले सकते हैं।एक रिपोर्ट के मुताबिक स्वत: संज्ञानलेने की व्यवस्था के पीछे तर्क यह है कि देश के हर नागरिक को न्याय मिले।
सरकारी एजेंसी करती है जांच
इस कानून के तहत कोर्ट किसी भी सरकारी जांच एजेंसी जैसे पुलिस, सीबीआई या किसी दूसरी एजेंसी से जांच करवा सकता है।