नई दिल्ली: धार्मिक तीर्थयात्रा का सभी धर्मों के लोगों के लिए विशेष महत्व होता है। दुनियाभर में मुसलमानों के लिए कई खास तीर्थस्थल हैं। इस्लाम में मक्का और मदीना को सबसे पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है। मक्का-मदीना के बाद अरबईन तीर्थयात्रा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। हर साल लाखों मुस्लिम तीर्थयात्री इसमें […]
नई दिल्ली: धार्मिक तीर्थयात्रा का सभी धर्मों के लोगों के लिए विशेष महत्व होता है। दुनियाभर में मुसलमानों के लिए कई खास तीर्थस्थल हैं। इस्लाम में मक्का और मदीना को सबसे पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है। मक्का-मदीना के बाद अरबईन तीर्थयात्रा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। हर साल लाखों मुस्लिम तीर्थयात्री इसमें हिस्सा लेते हैं। मक्का-मदीना की तरह अरबईन तीर्थयात्रा का भी दुनियाभर के मुसलमानों के लिए बहुत महत्व है। लेकिन इस बीच ईरान में एक सड़क हादसा हुआ है, जिसमें कर्बला जा रहे पाकिस्तानी तीर्थयात्रियों से भरी एक बस ईरान में पलट गई और इसमें कई तीर्थयात्रियों की मौत हो गई।
खबरों के मुताबिक, बस तीर्थयात्रियों को लेकर पाकिस्तान के लरकाना से इराक जा रही थी। बताया जा रहा है कि तीर्थयात्री अरबईन के लिए कर्बला जा रहे थे। दरअसल, हर साल पाकिस्तान से शिया तीर्थयात्री कर्बला जाते हैं। आइए जानते हैं कि मुस्लिम तीर्थयात्रियों के लिए अरबईन तीर्थयात्रा क्यों खास है और इसका क्या महत्व है।अरबैन तीर्थयात्रा इराक के कर्बला में आशूरा (मुहर्रम के दसवें दिन के चालीस दिन बाद) के 40 दिनों के शोक की अवधि के अंत में आयोजित की जाती है। यह तीर्थयात्रा 61 हिजरी (वर्ष 680) में पैगंबर मुहम्मद के पोते और तीसरे शिया मुस्लिम इमाम हुसैन इब्न अली की शहादत के गम में की जाती है। इस्लामी मान्यता है कि हुसैन इब्न अली को सभी सांस्कृतिक सीमाओं से परे सभी प्रकार की स्वतंत्रता, करुणा और न्याय का प्रतीक माना जाता है।
हर साल तीर्थयात्री उनकी शहादत या अरबैन के 40वें दिन कर्बला जाते हैं। कर्बला में ही हुसैन और उनके साथियों को उनके ही लोगों ने इराक के कुफा में आमंत्रित करके धोखा दिया था। इसके बाद कर्बला की लड़ाई में हुसैन शहीद हो गए।
कर्बला में अरबाइन तीर्थयात्रा 20 दिनों तक चलती है। इस तीर्थयात्रा के लिए सभी शिया शहर, कस्बे और गांव खाली हो जाते हैं। शिया मुसलमान पैदल इस लंबी तीर्थयात्रा के लिए संगठित तरीके से एक साथ आते हैं। इसीलिए इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम कहा जाता है।
आमतौर पर लोग मुसलमानों की तीर्थयात्रा को हज यात्रा के नाम से ही जानते हैं। लेकिन कर्बला तीर्थयात्रा हज यात्रा से काफी अलग है। इस्लाम में कहा गया है कि हर मुसलमान के लिए अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार हज यात्रा करना अनिवार्य है। लेकिन कर्बला तीर्थयात्रा अनिवार्य नहीं है। बल्कि यह तीर्थयात्रा केवल उन लोगों के लिए जरूरी है जो अपनी श्रद्धा से इसे करना चाहते हैं और इसका खर्च वहन करने में सक्षम हैं।
हालांकि, अरबईन पैदल यात्रा या तीर्थयात्रा का खर्च हज यात्रा से कम है। ऐसे में जो मुस्लिम तीर्थयात्री हज यात्रा का अधिक खर्च वहन करने में सक्षम नहीं होते, वे भी कर्बला तीर्थयात्रा के लिए पहुंच जाते हैं।
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