एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद भारत में, जानें क्या है इसका इतिहास

भोपाल: भारत की संस्कृति, खान-पान और मंदिर-मस्जिद इसे दूसरे देशों से अलग बनाते हैं। भारत में कई जगहें पूरे एशिया में अनूठी हैं। एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद की बात करें तो यह मध्य प्रदेश के भोपाल में बनी है। यह कितनी खास है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस मस्जिद का कम 85 सालों में पूरा हुआ था।

एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद

 

भोपाल अपनी खूबसूरती के लिए पूरे देश में जाना जाता है। यहां के हरे-भरे पेड़ और हवा हर किसी को शहर की ओर आकर्षित करती है। इस शहर की कई ऐतिहासिक जगहें पूरी दुनिया में मशहूर हैं। ताज-उल-मस्जिद को देखे बिना भोपाल की यात्रा अधूरी मानी जाती है। गुलाबी रंग की इस विशाल मस्जिद की दो सफेद गुंबदनुमा मीनारें हैं, जिन्‍हें मदरसे के तौर पर इस्‍तेमाल किया जाता है। तीन दिन तक चलने वाली यहां की वार्षिक तबलीगी इज़्तिमा (प्रार्थना) भारत भर से लोगों का ध्‍यान खींचती है।

शाहजहां बेगम ने बनवाई थी


भोपाल की यह मस्जिद पूरी दुनिया में मशहूर है। भोपाल के शासक बहादुर शाह जफर की पत्नी सिकंदर बेगम ने ताज उल मस्जिद को दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद बनाने का सपना देखा था। लेकिन पैसों की कमी के कारण वह इसका निर्माण नहीं करा पाईं। इसके बाद उनकी बेटी भोपाल की शासक शाहजहां बेगम ने अपना सपना बताकर इस मस्जिद का निर्माण करवाया। शाहजहाँ बेगम का नाम इतिहास में खूबसूरत इमारतों के निर्माण के लिए दर्ज है।

 

शाहजहां बेगम को इमारत निर्माण का शौक

बेगम शाहजहां को भोपल में खुबसुरत इमारत निर्माण के लिए जाना जाता हैं। शाहजहां बेगम को इमारतें बनाने का बहुत शौक था, इसलिए उन्होंने भोपाल में ताज-उल-मस्जिद, ताजमहल, नूर मस्जिद, बेनजीर मंजिल, नूर महल, निशात मंजिल, नवाब मंजिल आदि बनवाए। इसके अलावा उन्होंने नवाब जहांगीर मोहम्मद खान और सिकंदर बेगम के नाम पर मकबरे भी बनवाए।

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