उपहार कांड के पीड़ित नाराज़, बोले पैसा देकर बच गए सभी दोषी

उपहार अग्निकांड में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्तब्ध और निराश दो किशोर बच्चों की मां का कहना है कि पैसे वाले लोग पैसा देकर बच सकते हैं, लेकिन आम नागरिक के लिए एक अलग कहानी है. एसोसिएशन आफ विकटिम्स ऑफ उपहार ट्रेजेडी (एवीयूटी) की अगुवाई करने वाली नीलम कृष्णमूर्ति सुप्रीम कोर्ट के अंसल बंधुओं को 60 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा कर बच निकलने की अनुमति देने वाले फैसले पर प्रतिक्रिया जता रही थीं.

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उपहार कांड के पीड़ित नाराज़, बोले पैसा देकर बच गए सभी दोषी

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  • August 20, 2015 3:19 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. उपहार अग्निकांड में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्तब्ध और निराश दो किशोर बच्चों की मां का कहना है कि पैसे वाले लोग पैसा देकर बच सकते हैं, लेकिन आम नागरिक के लिए एक अलग कहानी है. एसोसिएशन आफ विकटिम्स ऑफ उपहार ट्रेजेडी (एवीयूटी) की अगुवाई करने वाली नीलम कृष्णमूर्ति सुप्रीम कोर्ट के अंसल बंधुओं को 60 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा कर बच निकलने की अनुमति देने वाले फैसले पर प्रतिक्रिया जता रही थीं.
 
उपहार कांड पीड़ितों में निराशा 
आम नागरिक के जीवन की किसी को परवाह नहीं होने पर दुख जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे बहुत निराशा हुई है. 18 साल पहले मेरा भगवान से विश्वास उठ गया था और 18 साल बाद मेरा न्यायपालिका से भरोसा उठ गया. उन्होंने कहा, एक चीज जो मैंने महसूस की है कि कानून की अदालत अमीर और गरीब के लिए एक समान नहीं होती. पैसे वाले लोग पैसा देकर बच सकते हैं, लेकिन नाम नागरिकों के लिए न्यायपालिका अलग है.
 
कृष्णमूर्ति ने फैसले के तुरंत बाद कहा कि यदि यह नेताओं और जजों के बच्चों की जिंदगी का मामला होता, तो एक साल के भीतर न्याय हो जाता. उन्होंने साथ ही कहा कि न्यायपालिका एक मां की पीड़ा नहीं समझ सकती, जो 18 साल तक अदालत के दरवाजे पर खड़ी रही और उसे निराशा मिली. किसी को आम नागरिक की चिंता नहीं है जबकि पैसे वाले और ताकतवर लोग बच निकलते हैं.
 
उन्होंने कहा कि 13 जून 1997 को जिस हादसे में 59 लोगों की जान चली गयी थी, वह थियेटर के मालिकों की जानबूझकर की गई लापरवाही का नतीजा था, जिन्होंने पैसे के लालच में सिनेमा देखने वालों की जिंदगी को खतरे में डाला. कृष्णमूर्ति ने कहा कि यह जानबूझकर की गयी हत्या थी. यह जनसंहार था. जब एक व्यक्ति मारा जाता है तो आरोपी को आजीवन कारावास या 10 से 14 साल की सजा होती है, लेकिन यहां वे पैसा देकर बच निकले. मेरे बच्चे मारे गए क्योंकि अंसल बंधुओं ने पैसा बनाने के लिए थियेटर में अतिरिक्त सीटें लगायी हुई थीं.
 
कोर्ट ने अंसल बंधुओं पर लगाया 60 करोड़ का जुर्माना
उद्योगपति अंसल बंधुओं को सुप्रीम कोर्ट ने 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में तीन महीने में 60 करोड़ का जुर्माना अदा करने का निर्देश दिया है. हिंदी फिल्म बॉर्डर के प्रदर्शन के दौरान उपहार सिनेमा में आग लग गई थी, जिसमें 59 दर्शकों की मौत हो गई थी. न्यायमूर्ति एआर दवे, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की खंडपीठ ने सुशील और गोपाल अंसल द्वारा जेल में गुजारी गई अवधि तक ही उनकी सजा सीमित करते हुए उन्हें निर्देश दिया कि वे तीन महीने के भीतर दिल्ली सरकार के पास 60 करोड़ रुपये जमा कराएं. दिल्ली सरकार इस धनराशि का इस्तेमाल कल्याणकारी योजना के लिए करेगी.
एजेंसी इनपुट भी 
 

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