महासंयोग में नवरात्र, जानें कलश स्थापना मुहूर्त और विधि

सर्व पितृ अमावस्या (महालया) के साथ पितृ पक्ष खत्म होने के साथ ही शनिवार 01 अक्तूबर से मां दुर्गा की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो गया है. इस बार प्रतिपदा तिथि दो दिन होने के कारण नवरात्र नौ दिन की बजाय 10 दिन का होगा. ऐसा महासंयोग इस बार नवरात्र‍ि में 18 साल बाद बन रहा है.

Advertisement
महासंयोग में नवरात्र, जानें कलश स्थापना मुहूर्त और विधि

Admin

  • September 30, 2016 3:49 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. सर्व पितृ अमावस्या (महालया) के साथ पितृ पक्ष खत्म होने के साथ ही शनिवार 01 अक्तूबर से मां दुर्गा की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो गया है. इस बार प्रतिपदा तिथि दो दिन होने के कारण नवरात्र नौ दिन की बजाय 10 दिन का होगा. ऐसा महासंयोग इस बार नवरात्र‍ि में 18 साल बाद बन रहा है.
 
इनख़बर से जुड़ें | एंड्रॉएड ऐप्प | फेसबुक | ट्विटर
 
कलश स्थापना मुहूर्त
दुर्गा पूजा की शुरुआत कलश स्थापना से होती है. 01 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 20 मिनट से लेकर 07 बजकर 30 तक का समय कलश स्थापना के लिए शुभ है. नवरात्र व्रत की शुरुआत भी प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना से की जाती है.
 
कलश स्थापना के लिये जरूरी पूजन सामग्री 
जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र, जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिट्टी, पात्र में बोने के लिए जौ, कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल, मौली, इत्र, साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के, पंचरत्न, अशोक या आम के 5 पत्ते, कलश ढकने के लिए मिट्टी का दीया, ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल, सप्तधान्य (सात प्रकार का अनाज), सप्तमृत्तिका, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, अक्षत, दूध, दही, घी, शहद, फूल, अगरबत्ती, पानी वाला नारियल और नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा.
 
कलश स्थापना विधि
सबसे पहले प्रातःकाल स्नान करके पूजन सामग्री के साथ पूजा स्थल पर पूर्वाभिमुख (पूर्व दिशा की ओर मुंह करके) आसन लगाकर बैठें. उसके बाद नीचे दी गई विधि अनुसार पूजा प्रारंभ करें-
 
1. नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण कर पूजन सामग्री और अपने शरीर पर जल छिड़कें
    ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा.
     य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:.
2. हाथ में अक्षत, फूल, और जल लेकर पूजा का संकल्प करें.
3. माँ शैलपुत्री की मूर्ती के सामने मिट्टी के ऊपर कलश रखकर हाथ में अक्षत, फूल, और गंगाजल लेकर वरूण देव का आवाहन करें.
4. पूजन सामग्री के साथ विधिवत पूजा करें.
5. उसके बाद आरती करें और प्रसाद वितरण करें.
 
शारदीय नवरात्र की तिथियां 
पहला दिन: 01 अक्टूबर, 2016 इस दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 20 मिनट से लेकर 07 बजकर 30 मिनट तक का है. प्रथम नवरात्र को देवी शैलपुत्री रूप का पूजन किया जाता है.
दूसरा दिन: 02 अक्टूबर, 2016 इस वर्ष प्रतिपदा तिथि दो दिन होने की वजह से आज भी देवी शैलपुत्री की पूजा की जाएगी.
तीसरा दिन: 03 अक्टूबर 2016 नवरात्र की द्वितीया तिथि को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.
चौथा दिन: 04 अक्टूबर 2016 तृतीया तिथि को देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की आराधना की जाती है.
पांचवा दिन: 05 अक्टूबर 2016 नवरात्र पर्व की चतुर्थी तिथि को मां भगवती के देवी कूष्मांडा स्वरूप की उपासना की जाती है.
छठा दिन: 06 अक्टूबर 2016 पंचमी तिथि को भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है.
सातवां दिन: 07 अक्टूबर 2016 नारदपुराण के अनुसार आश्विन शुक्ल षष्ठी को मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए.
आठवां दिन: 08 अक्टूबर 2016 नवरात्र पर्व की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का विधान है.
नौंवा दिन: 09 अक्टूबर 2016 अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है. इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं.
दसवां दिन: 10 अक्टूबर 2016 नवरात्र पर्व की नवमी तिथि को देवी सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है. सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है.

Tags

Advertisement