नई दिल्लीः हाल ही में संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पेश किया गया था। जो की संसद के दोनों सदनों से भारी मतों से पारित हो गया था। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिल को हरी झंडी दे दी है यानी बिल पर हस्ताक्षर कर दिए है। जिसके बाद यह बिल अब […]
नई दिल्लीः हाल ही में संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पेश किया गया था। जो की संसद के दोनों सदनों से भारी मतों से पारित हो गया था। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिल को हरी झंडी दे दी है यानी बिल पर हस्ताक्षर कर दिए है। जिसके बाद यह बिल अब कानून बन गया है। बता दें कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक उपराष्ट्रपति जगदीर धनखड़ के द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया था।
कानून बन जाने के बाद महिलाओें को मिलेगा लाभ
इस बिल के जरिए लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है। हालांकि, महिलाओं को इसका लाभ जनगणना और परिसीमन (लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण) की प्रक्रिया के बाद ही मिलेगा। नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होने के बाद लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएगी। यह आरक्षण 15 साल तक लागू रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी समय- सीमा बढ़ा सकती है। आरक्षण सीधे जनता के द्वारा चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषद महिला आरक्षण बिल लागू नहीं होगा।
संसद के दोनों सदन से पारित हुआ था बिल
बता दें कि महिला आरक्षण से संबंधित 128वां संविधान संशोधन विधेयक 21 सितंबर को राज्यसभा में पारित किया गया था। बिल के समर्थन में 214 वोट पड़े, जबकि किसी ने भी बिल के खिलाफ वोट नहीं डाला था। इससे पहले 20 सितंबर को विधेयक को लोकसभा से पारित कर लिया गया था। लोकसभा ने भी इस बिल को दो तिहाई वोट के साथ पास किया था। इसके पक्ष में 454 और विरोध में दो वोट पड़े थे।