नई दिल्ली: मंगलवार(7 फरवरी) को संसद के चालू बजट सत्र के दौरान दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई. लोकसभा में चर्चा के दौरान एक ओर अडानी मुद्दे का शोर रहा. दूसरी ओर सदन में महिला आरक्षण के साथ जाम्बिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत का […]
नई दिल्ली: मंगलवार(7 फरवरी) को संसद के चालू बजट सत्र के दौरान दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई. लोकसभा में चर्चा के दौरान एक ओर अडानी मुद्दे का शोर रहा. दूसरी ओर सदन में महिला आरक्षण के साथ जाम्बिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत का मुद्दा भी उठाया गया.
दरअसल ये मामला ओडिशा की सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजेडी) के संसदीय दल के नेता पिनाकी मिश्रा ने उठाया. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण में महिला आरक्षण की बात न होने को लेकर भी दुख व्यक्त किया। उन्होंने इस जाम्बिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत का मुद्दा भी उठाया.
बच्चों की मौत के मामले पर पिनाकी मिश्रा ने कहा कि हमें जाम्बिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत के मामले को भी देखना चाहिए. इन बच्चों की मौत भारत में बननी दवाओं के उपयोग के बाद हुई है. फॉर्मेंसी ऑफ वर्ल्ड होने का दावा करने से पहले हमें अपने स्तर पर इस मामले में जांच करनी चाहिए. इस दौरान उन्होंने भारत सरकार के कई फैसलों की जमकर तारीफ भी की और कई बार वह नाराज़ भी हुए. बीजेडी सांसद ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त अनाज वितरण को लेकर तारीफ की है. साथ ही उन्होंने कोरोना काल में इसकी शुरुआत को लेकर कहा कि अब इसकी समय सीमा बढ़ानी चाहिए.
WHO ने भारतीय दवा कंपनी मरीन बायोटेक के दो कफ सिरप को लेकर चेतावनी जारी की है. स्वास्थ्य संगठन की सलाह है कि इन दवाओं को बच्चों के लिए ना इस्तेमाल किया जाए. संगठन का कहना है कि ये दो सिरप गुणवत्ता के मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं. इतना ही नहीं WHO ने इन दोनों कफ सिरप की बिक्री पर रोक लगाए जाने की बात भी कही है.
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते उज़्बेकिस्तान में 19 बच्चों की मृत्यु का मामला भी इसी कंपनी द्वारा बनाई गई कफ सिरप से जुड़ा है. अब जिन दो दवाओं को लेकर चेतावनी जारी की गई है वो Ambronol सिरप और DOK-1 Max सिरप हैं.बता दें, उज़्बेकिस्तान सरकार ने भी देश में 19 बच्चों की मौत के बाद इस सिरप की जांच करवाई थी। जांच में पाया गया कि दोनों ही दवाओं में डाइथिलीन ग्लाइकोल और इथीलीन की मात्रा काफी अधिक थी जो बच्चों की मौत का कारण बनी.
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