लखनऊ: देशभर में बढ़ती महंगाई के बीच यूपी सरकार शहरवासियों पर हाउस टैक्स बढ़ाने की तैयारी कर रही है. साथ ही टैक्स बढ़ाने के मामले में महापौर और पार्षदों का दखल भी खत्म किया जाएगा. सरकार की तरफ से ये कदम नगर निगमों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए उठाया गया है. सरकार […]
लखनऊ: देशभर में बढ़ती महंगाई के बीच यूपी सरकार शहरवासियों पर हाउस टैक्स बढ़ाने की तैयारी कर रही है. साथ ही टैक्स बढ़ाने के मामले में महापौर और पार्षदों का दखल भी खत्म किया जाएगा. सरकार की तरफ से ये कदम नगर निगमों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए उठाया गया है. सरकार ने इसके लिए प्रमुख सचिव नगर विकास की अध्यक्षता में 13 अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय कमेटी बना दी गई है.
सरकार के द्वारा बनाई गई 12 सदस्यों की कमेटी नगर निगमों की आय बढ़ाने के स्रोत और तौर तरीकों पर अपनी रिपोर्ट देगी. कमेटी हाउस टैक्स बढ़ाने पर भी विचार कर रही है. यूपी के लगभग सभी नगर निगमों की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है, आर्थिक रूप से उन्हें मजबूती देने के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया है. बता दें लखनऊ नगर निगम ने पिछले 12 सालों से हाउस टैक्स नहीं बढ़ाया है. हालांकि साल 2018-19 में हाउस टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार हुआ था लेकिन महापौर व पार्षदों के विरोध के चलते दरें नहीं बढ़ाई जा सकीं. इसके कारण नगर निगम की वित्तीय स्थिति पर प्रभाव पड़ा है और उनकी स्थिति और खराब हो गई. इसके साथ ही सरकार की मंशा कर के दायरे से बाहर सभी मकानों को कर के दायरे में लाने की है.
नगर नियम अधिनियम के तहत हर दो साल में टैक्स बढ़ाने का प्रावधान है. सरकार के द्वारा बनाई गई 12 लोगों की कमेटी में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि अब ऐसी व्यवस्था की जाएगी जिससे हर दो साल में टैक्स बढ़ जाएगा. साथ ही बताया गया कि टैक्स बढ़ाने में पार्षदों और महापौर की कोई दखलअंदाजी नहीं रहेगी.
लखनऊ के पॉस इलाके गोमतीनगर में लगभग 1 हजार वर्गफुट में मकान बनाने वाले लोगों को अभी 2 हजार रूपये टैक्स देना पड़ता है. यदि सरकार द्वारा हाउस टैक्स की दरें बढ़ाई जाती है तो ये 4 हजार रूपये तक हो सकता है.
नगर निगम विशेष सचिव इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि लखनऊ नगर निगम अभी 300 करोड़ के घाटे में चल रही है. उन्होने बताया कि पैसा न होने की वजह से विकास कार्य ठप पड़े हुए है.