वक्फ संशोधन बिल पर लोकसभा में बहस चल रही थी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने स्वभाव के मुताबिक व्यंग्य बाण चला रहे थे और बोलते बोलते यहां तक कह गये कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी अपना अध्यक्ष तक नहीं चुन पा रही. इसके बाद पीएम मोदी के नागपुर संघ मुख्यालय जाने को लेकर वार कर दिया और यूपी सीएम योगी की तरफ इशारा करते हुए शाह से कहा कि उन पर भी कुछ बोल दीजिए.

शाह ने बीच में हस्तक्षेप किया और जिस हंसी के साथ अखिलेश यादव ने सवाल किया था उसी अंदाज में हंसते हुए शाह ने जवाब दिया कि 12 करोड़ से राय मशविरे के बाद भाजपा में अध्यक्ष तय होता है इसलिए देरी हो रही है. विपक्षी पार्टियों की तरह पांच लोगों में से अध्यक्ष नहीं बनना है. साथ में अखिलेश यादव को 25 साल सपा अध्यक्ष रहने का आशीर्वाद भी दे दिया. थोड़ी देर बाद आगे जोड़ा जिसकी चिंता कर रहे हैं वह भी रिपीट होंगे. ये पूरा वाकया बुधवार का है.

अखिलेश का तंज बाबा की छीनी पहचान

इससे पहले 26-27 मार्च को आगरा में सपा नेता रामजी लाल सुमन के घर पर हुए हमले को लेकर अखिलेश यादव ने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ पर तीखा वार किया था. उन्होंन कहा था क्या सीएम का प्रभाव रोज घट रहा है या ‘आउटगोइंग सीएम’ की अब कोई नहीं सुन रहा है. अगर वो अभी सीएम हैं तो तुरंत कार्रवाई करें, नहीं तो माना जाएगा कि यह सब उनकी अनुमति से हुआ. अखिलेश यादव यहीं नहीं रूके. उन्होंने एक्स पर लिखा कि अब बुलडोज़र भी छिन गया क्या? अब बुलडोज़र कोई और चलवा रहा है. क्या विदाई की बेला में पद के साथ पहचान भी छीन लेंगे. ये अच्छी बात नहीं है. कहने का मतलब यह कि अखिलेश यादव सीएम योगी पर तंज कसकर उनके मनोबल को तोड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते और 2027 में अपने लिए संभावनाएं तलाशते रहते हैं.

योगी का झोला उठाने वाले फंडा काम कर गया

इसी दौरान सीएम योगी ने न्यूज एजेंसी एएनआई को एक इंटरव्यू दिया जिसमें दिल्ली-लखनऊ में मतभेद और पीएम बनने संबंधी सवाल पर साफ कहा कि वह पार्टी की मर्जी से ही सीएम है. पार्टी ने ही उन्हें सीएम बनाया था. क्या दिल्ली के आशीर्वाद के बिना वह सीएम बने रह सकते हैं? योगी ने आगे जोड़ा कि वह मठ लौटने के लिए भी तैयार है. सीएम योगी जब ये जवाब दे रहे थे उसकी पृष्ठभूमि में कहीं न कहीं लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर की योगी के खिलाफ बयानबाजी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का गुर्जर के साथ मंच शेयर करना और अपने हिसाब से राजनीतिक संदेश देने की कोशिश उनके मन मस्तिष्क में उमड़ घुमड़ रही होगी.

शाह का संदेश यूपी में बाबा जैसा कोई नहीं

कहते हैं कि राजनीति संकेतों और संदेशों से चलती है. सीएम योगी की बुलडोजर बाबा के रुप में मिली पहचान और दूसरे टर्म के लिए चुने जाने के बाद वह काफी मजबूत हो गये लेकिन लोकसभा चुनाव में यूपी में झटका लगने और पीएम पद की दौड़ में नाम शामिल होने से चर्च चल पड़ी कि लखनऊ की दिल्ली से दूरी बढ़ गई है. दरअसल अमित शाह के बारे में माना जाता है कि वह पीएम मोदी के सबसे नजदीक हैं लिहाजा उनके बाद उनका नंबर लग सकता है. जबकि योगी के बारे में माना जाता है कि रायसीना हिल्स के लिए वह सबसे योग्य है. भगवाधारी और सख्त प्रशासक होने के नाते आरएसएस का आशीर्वाद होने की भी बात कही जाती है लिहाजा शाह और योगी में खींचतान की खबरें चलती रहती है.

अखिलेश के सवाल से छटी धुंध

यूपी को डीजीपी देने का मामला हो या दोनों डिप्टी सीएम और योगी के विरोधियों को आशीर्वाद देने का, इसके पीछे अमित शाह का हाथ होने की बात कही जाती है. यही वजह है कि अखिलेश यादव डबल इंजन के टकराने की बात बोलते रहते हैं. लोकसभा चुनाव में यूपी में हार के बाद भी योगी को हटाने की बात चली थी लेकिन तब वह बच गये थे. अब शाह ने संसद में जिस तरह से योगी के रिपीट होने की बात कही और खुद योगी ने इंटरव्यू में दिल्ली के आशीर्वाद से सीएम बनने व रहने की बात कही उससे साफ हो गया है कि दिल्ली दरबार मान रहा है कि अभी यूपी में बाबा जैसा कोई नहीं.

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