नई दिल्ली: आतंकी फंडिंग मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन (जेकेएलएफ-वाई) के अध्यक्ष यासीन मलिक ने खुद को गांधीवादी करार दिया है। मालिन ने अपने संगठन जेकेएलएफ-वाई पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा कर रहे यूएपीए ट्रिब्यूनल को बताया है कि वह अब गांधीवादी हैं। उन्होंने 1994 से हथियार और हिंसा छोड़ दी है।
ट्रिब्यूनल को दिए अपने हलफनामे में मलिक ने दावा किया कि उन्होंने “संयुक्त स्वतंत्र कश्मीर” की स्थापना के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 1994 में जेकेएलएफ-वाई के माध्यम से सशस्त्र संघर्ष का रास्ता छोड़ दिया था। अब उन्होंने अपने विरोध और प्रतिरोध के लिए गांधीवादी तरीका अपनाया है. यासीन पर यूएपीए ट्रिब्यूनल का आदेश गजट में प्रकाशित हो गया है. जेकेएलएफ-वाई को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत अगले पांच वर्षों के लिए ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित किया गया है। इसमें संदिग्ध और तथ्यात्मक दावों के जरिए बताया गया है कि कैसे केंद्र के शीर्ष राजनीतिक और सरकारी अधिकारी 1994 से इस संगठन से जुड़े हुए हैं.
यासीन ने 1988 में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट या जेकेएलएफ-वाई का गठन किया था। यासीन ने अपने इस संगठन के आतंकियों के साथ मिलकर 1990 में श्रीनगर के रावलपुरा में चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की सनसनीखेज हत्या को अंजाम दिया था। इस मामले में यासीन मुख्य आरोपी है. इस सामूहिक हत्याकांड के गवाहों ने अदालत में मुख्य शूटर के रूप में यासीन मलिक की पहचान की थी. एनआईए की जांच में यासीन के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप भी अदालत में साबित हुए. इसके बाद मई 2022 में कोर्ट ने उन्हें टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा भी सुनाई.
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