राष्ट्रपति चुनाव: यशवंत सिन्हा बने विपक्ष का उम्मीदवार

नई दिल्ली, तीन नेताओं के मना करने के बाद आखिरकार आज विपक्ष को राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना चेहरा मिल गया. पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ही वह नाम है जो विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार बनेंगे. जहां राजनीतिक जानकारों के बीच इस खबर से काफी हलचल देखने को मिल रही है. बता दें, यशवंत सिन्हा […]

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राष्ट्रपति चुनाव: यशवंत सिन्हा बने विपक्ष का उम्मीदवार

Riya Kumari

  • June 21, 2022 4:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, तीन नेताओं के मना करने के बाद आखिरकार आज विपक्ष को राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना चेहरा मिल गया. पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ही वह नाम है जो विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार बनेंगे. जहां राजनीतिक जानकारों के बीच इस खबर से काफी हलचल देखने को मिल रही है. बता दें, यशवंत सिन्हा ने साल 2018 में बीजेपी को छोड़ा था, इस समय वह तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं. इस बात की जानकारी कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने दी है.

कौन हैं यशवंत सिन्हा?

विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के नाम का प्रस्ताव तृणमूल कांग्रेस ने रखा था. राष्ट्रीय कार्य के नाम पर इससे पहले यशवंत सिन्हा ने ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. जहां अब यशवंत सिन्हा ने ट्वीट कर ये सम्मान देने के लिए सीएम ममता बनर्जी का आभार व्यक्त किया है. यशवंत सिन्हा को सियासी जीवन में’मिस्टर यू-टर्न’ की छवि से देखा गया है.

वित्त मंत्री रहते फैसले बदले

चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकारों में यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री रहे हैं. उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले लेने के लिए जाना जाता है. जहां यशवंत सिन्हा ने ही वित्त मत्री रहते संसद में बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे की जगह दिन में 11 बजे किया था. वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपनी ही सरकार के कुछ नीतिगत फैसलों में भी बदलाव किया था. यही कारण है कि उन्हें ‘मिस्टर यू-टर्न’ भी कहा जाता है.

IAS का पद छोड़ सियासत संभाली

बिहार की राजधानी पटना में उनका जन्म 6 नवंबर 1937 को हुआ था. जहां यशवंत सिन्हा ने1958 में राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट की. बाद में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में अध्यापन किया और साल 1960 में सिविल सेवा परीक्षा में 12वीं रैंक हासिल कर 24 साल तक आईएएस अधिकारी की डिवीजनल मजिस्ट्रेट से लेकर केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव और जर्मनी के भारतीय वाणिज्यिक दूतावास में प्रथम सचिव तक कुर्सी संभाली. हालांकि साल 1984 में यशवंत सिन्हा ने जयप्रकाश नारायण से प्रभावित होकर प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और जनता (पीपुल्स) पार्टी (जेपी) के सदस्य के रूप में अपने सियासी सफर का आगाज किया.

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