लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इस वक्त बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है. इस बीच मायावती ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने राजनीतिक द्वेष के चलते बसपा के दफ्तर के सामने पुल बनवा दिया था. अब इस मामले पर […]
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इस वक्त बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है. इस बीच मायावती ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने राजनीतिक द्वेष के चलते बसपा के दफ्तर के सामने पुल बनवा दिया था. अब इस मामले पर पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि अगर उन्हें (मायावती) पुल से ज्यादा दिक्कत है तो भाजपा सरकार को पत्र लिखकर उसे गिरवा दें.
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह पुल बना बहुत जरूरी था. हमने दो पुलो की सूची केंद्र को दी थी. जो नियम डिफेंस और रेलवे ने दिए थे उन नियमों का पालन किया गया था. अगर उन्हें (मायावती) पुल से ज्यादा दिक्कत है तो भाजपा सरकार को पत्र लिख दें, कि पुल तुड़वा दें. भाजपा की सरकार हैं. भाजपा के पास बहुत से बुलडोजर हैं.
इससे पहले बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोशल मीडिया साइट्स एक्स पर लिखा था कि सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है हालांकि बीएसपी ने पिछले लोकसभा आमचुनाव में सपा से गठबंधन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेंडें पर वापस आ गई.
मायावती ने आगे लिखा कि अब सपा मुखिया जिससे भी जिससे भी गठबंधन की बात करते हैं तो उनकी पहली शर्त बसपा से दूरी बनाए रखने की होती है, जिसे मीडिया भी खूब प्रचारित करता है. वैसे भी सपा के 2 जून 1995 सहित घिनौने कृत्यों को देखते हुए व इनकी सरकार के दौरान जिस प्रकार से अनेकों दलित-विरोधी फैसले लिये गये हैं. जिनमें बीएसपी यूपी स्टेट ऑफिस के पास ऊँचा पुल बनाने का कृत्य भी है जहां से षड्यन्त्रकारी अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों व राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुंचा सकते हैं. जिसकी वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाओं को वहां से हटाकर पार्टी प्रमुख के निवास पर शिफ्ट करना पड़ा.
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