Ukraine Russia War: संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव, भारत ने नहीं डाला वोट

Ukraine Russia War नई दिल्ली, Ukraine Russia War यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में बुधवार को निंदा प्रस्ताव पास किया गया. इस निंदा प्रस्ताव में 193 सदस्य देशों में से 141 सदस्यों ने रूस के खिलाफ वोट दिया. वहीं रूस के पक्ष में सिर्फ पांच देशों ने मतदान किया. […]

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Ukraine Russia War: संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव, भारत ने नहीं डाला वोट

Girish Chandra

  • March 3, 2022 11:30 am Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

Ukraine Russia War

नई दिल्ली, Ukraine Russia War यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में बुधवार को निंदा प्रस्ताव पास किया गया. इस निंदा प्रस्ताव में 193 सदस्य देशों में से 141 सदस्यों ने रूस के खिलाफ वोट दिया. वहीं रूस के पक्ष में सिर्फ पांच देशों ने मतदान किया. निंदा प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने वालें देश रूस, बेलारूस, उत्तर कोरिया, सीरिया और इरीट्रिया है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्तावित हुए इस निंदा प्रस्ताव में कुल 35 देशों ने मतदान नहीं किया. जिसमे भारत के साथ पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश भी शामिल है।

बता दे कि इस प्रस्ताव में यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने की बात कही गई थी और रूस से प्रस्ताव द्वारा मांग करते कहा गया कि वो यूक्रेन से अपने सेना को तुरंत वापस बुलाए।

भारत ने नहीं किया मतदान

यूएनजीए में यूक्रेन के खिलाफ आक्रमकता नामक प्रस्ताव पर भारत ने मतदान नहीं किया और खुद को इस प्रस्ताव से दूर रखा. महासभा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरूमूर्ति ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून के लिए भारत की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए दोनों देशों से राजनयिक पथ पर लौटने की पील की थी. संयुक्त राष्ट्र मंच के इतिहास में ये पांचवा अवसर हे कि भारत ने वोटिंग से खुद को दूर रखा है।

पहले प्रस्ताव में रूस ने किया था वीटो

संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के खिलाफ इससे पहले भी एक निंदा प्रस्ताव आया था. जिसमें रूस ने वीटो पॉवर का प्रयोग कर निंदा प्रस्ताव को स्थगित कर दिया था. जिसके बाद सुरक्षा परिषद द्वारा आपातकालीन विशेष सत्र को बुलाया गया था. जिसमें रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया. गौरतलब है कि ये संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में ये 11वां आपातकालीन सत्र था।

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