नई दिल्लीः इजरायल और हमास के बीच जंग लगातार 26वें दिन भी जारी है। इस युद्ध को देखते हुए विश्व बैंक ने चिंता जाहीर की है। विश्व बैंक ने चेतावनी देते हुए कहा कि लंबी खिंचती इस जंग का बुरा असर ग्लोबल इकोनॉमी पर पड़ सकता है। कमोडिटी सेक्टर पर तो बेहद तगड़ी और दोहरी […]
नई दिल्लीः इजरायल और हमास के बीच जंग लगातार 26वें दिन भी जारी है। इस युद्ध को देखते हुए विश्व बैंक ने चिंता जाहीर की है। विश्व बैंक ने चेतावनी देते हुए कहा कि लंबी खिंचती इस जंग का बुरा असर ग्लोबल इकोनॉमी पर पड़ सकता है। कमोडिटी सेक्टर पर तो बेहद तगड़ी और दोहरी मार पड़ सकती है। कमोडिटी सेक्टर पर तो बेहद तगड़ी और दोहरी असर पड़ सकती है। युद्ध का प्रभाव कच्चे तेल की कीमतों पर दिखाई भी देने लगा है। अगर ऐसा होता है तो फिर भारत दुनियाभर में महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा।
पहले रूस और यूक्रेन में युद्ध से भू- राजनीतिक हालात बिगड़े थे और सप्लाई चेन बाधित होने से दुनिया में जंग के रुप में इसका प्रभाव देखने को मिला था। इस युद्ध की आग ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि इजरायल और हमास के बीच खूनी जंग शुरु हो गई। इस युद्ध में अभी तक 9000 हजार से ज्यादा जानें जा चुकी है। हमले के बाद हमास का ठीकाने गाजा पट्टी की सूरत तो इजरायली टैंक ने पूरी तरह बदल दी है। हमास का ठिकाना अब मलबे के ढ़ेर में तब्दील नजर आ रहा है।
विश्व बैंक ने अपनी ताजा कमोडिटी मार्केट आउटलुक रिपोर्ट में एक चेतावनी जारी की है। विश्व बैंक के पूर्वानुमान के अनुसार मध्य पूर्व में युद्ध लंबा खिंचता है तो इसका असर सीधा कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ेगा। रिपोर्ट की माने तो आने वाले दिनों में क्रूड तेल की कीमत 150 डॉलर प्रती बैरल के पार पहुंच सकती है। ऐसा होता है कि फिर एनर्जी और फूड प्रोडक्ट्स की कीमतों में ज्यादा उछाल देखने को मिल सकता है।
विश्व बैंक के विकास अर्थशास्त्र के चीफ इकोनॉमिस्ट इंटरमिट गिल के मुताबिक, मध्य पूर्व में ये नया संघर्ष 1970 के दशक के बाद से कमोडिटी बाजारों के लिए झटका होगा। वहीं विश्व बैंक के उप मुख्य अर्धशास्त्री अहान कोसे ने कहा तेल की ऊंची कीमत यदी बरकरार रहती है तो निश्चित रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में ज्यादा उछाल आएगा। अगर तेल की कीमत में गंभीर झटका लगता है तो इससे खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी जो पहसे से ही कई विकासशील देशों में बढ़ी हुई है।