विश्व एड्स दिवस: जागरूकता से ही होगा एचआईवी से बचाव

1 दिसम्बर विश्व एड्स दिवस के तौर पर मानाया जाता है. इसका उद्देश्य एचआईवी के लिए जागरुकता बढ़ाना होता है. पहली बार विश्व एड्स दिवस 1988 में मनाया गया.

Advertisement
विश्व एड्स दिवस: जागरूकता से ही होगा एचआईवी से बचाव

Aanchal Pandey

  • December 1, 2017 10:59 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. 1 दिसंबर यानि आज दुनिया भर में ‘विश्व एड्स दिवस’ के मनाया जा रहा है. इस मौके पर देशभर में इस रोग से बचाव की जानकारी देने वाले कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इन कार्यक्रमों का उद्देश्य लोगों को इस खतरनाक बीमारी के प्रति जागरूक करना है. विश्व एड्स दिवस के अंतर्गत लोगों को एड्स के लक्षणों, बचाव, उपचार और कारणों के बारे में बताया जा रहा है. बता दें कि एड्स, ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) के संक्रमण से होने वाला एक जानलेवा बीमारी है. एड्स दुनिया भर में महामारी की तरह फैला हुआ है, जिससे पुरुष और महिलाएं ही नहीं बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं. पहली बार विश्व एड्स दिवस 1988 में मनाया गया था. तब से अब तक इस बीमारी की चपेट से लोगों को बचाने के लिए सरकार द्वारा तरह-तरह के कार्यक्रम चलाये जाते रहे हैं.

एड्स दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य इस बात पर ज़ोर देना है कि पृथ्वी पर निवास करने वाले प्रत्येक मनुष्य को पूरी ज़िम्मेदारी और मानवता के साथ एचआईवी पीड़ितों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने का वचन लेना चाहिए. विश्व एड्स दिवस के दिन अनेक व्यक्ति, सरकार और स्वास्थ्य अधिकारी तथा कई सरकारी और गैर सरकारी संगठन एक साथ आते है ताकि एड्स जैसी महामारी की ओर सभी का ध्यान आकर्षित कर सके, साथ ही उन तरीक़ो से लोगों को अवगत कराएं, जिसमे वह यह जान पाएं कि एड्स पीड़ित से किस तरह का व्यवहार करना चाहिए?

इसके बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि जब एक वयस्क व्यक्ति के लिए टीकाकरण की आवश्यकता समाप्त नहीं होती है. एक बच्चे के रुप में प्राप्त टीकों से कुछ ही वर्षों तक सुरक्षा मिलती है और नए विभिन्न रोगों के जोखिम से निपटने के लिए और वेक्सीनेशन की जरूरत पड़ती है. बता दें कि एड्स को शुरूआत में होमोसेक्शुअल बीमारी माना जाता था तब इसे गिर्ड यानि गे रिलेटिड इम्यून डिफिशियंसी कहा जाता था. इसे एड्स नाम सन 1982 में दिया गया. व्यक्ति को सीधे एड्स नहीं होता. एड्स एचआईवी के संक्रमण के बाद की स्थिति है, एड्स खुद कोई बीमारी नहीं है. इससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर में जीवाणु-विषाणुओं से होने वाली बीमारियों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है. ऐसे में व्यक्ति को सर्दी से लेकर टीबी तक हो जाती है. इनका इलाज नामुमकिन हो जाता है.

World HIVAIDS 2017: क्या आप जानते हैं एडल्ट वैक्सीनेशन से जुड़ी ये 4 बातें ?

https://youtu.be/YGncRUTynbc

Tags

Advertisement