नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा से जुड़े महिला संगठन संवर्धिनी न्यास के उच्चतम न्यायालय द्वारा किये समलैंगिक विवाह के फैसले का स्वागत कर कहा की सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय परिवार और विवाह प्रणाली के प्रति सम्मान दिखाया है। बता दें पिछले मंगलवार को उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायधीशों की पीठ ने समलैंगिक विवाह को क़ानूनी मान्यता देने से मना कर दिया है
कानून अदालत नहीं बना सकती
समलैंगिक विवाह को क़ानूनी मान्यता देने के लिए 21 याचिकाओं वाली मांगों पर फैसला सुनाने वाली पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने की जिस पर उन्होंने कहा कानून अदालत नहीं बना सकती है, अदालत सिर्फ इसकी व्याख्या कर सकती है, इसी के साथ यह भी कहा – कि विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है।
सुप्रीम कोर्ट का हम स्वागत करते हैं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े महिला संगठन संवर्धिनी न्यास ने एक बयान में कहा, समलैंगिक विवाह और गोद लेने को क़ानूनी मान्यता न देने के इस फैसले के लिए उच्चतम न्यायालय का हम स्वागत करते हैं
संगठन ने आगे कहा – संवर्धिनी न्यास का मानना की उच्चतम न्यायालय ने जो फैसला दिया है वह भारतीय परिवार और विवाह प्रणाली का सम्मान है , कि विवाह के लिए दो समलैंगिक के बीच सम्बन्ध किसी भी प्रकार से पंजीकरण के योग्य नहीं हैं , ये उनका मौलिक अधिकार भी नहीं है।
संगठन को भरोसा है
इसी के साथ आगे संगठन ने कहा बच्चा गोद लेने की मान्यता ना देना भी एक अच्छा फैसला है. संगठन को भरोसा है कि उच्च न्यायालय समाज के हित में भारतीय संस्कृति और उसके मूल्यों की रक्षा के लिए हमेशा की तरह साथ खड़ा रहेगा।
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