September 17, 2024
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इस देश में बेटियां रोज गायब हो रही हैं, हर दिन 345 लड़कियां लापता, किसका है ये खौफनाक खेल?

  • WRITTEN BY: Anjali Singh
  • LAST UPDATED : August 28, 2024, 5:00 pm IST

नई दिल्ली: हाल ही में कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर के बाद से पश्चिम बंगाल पूरे देश में सुर्खियों में है। लोग राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह घटना केवल एक नमूना है, क्योंकि भारत में हर रोज सैकड़ों लड़कियां और महिलाएं गायब हो रही हैं।

हर दिन गायब होती हैं 345 लड़कियां

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, हर दिन 345 लड़कियां भारत में गायब हो जाती हैं। इनमें से 170 लड़कियों का अपहरण हो जाता है, 172 लड़कियां लापता हो जाती हैं, और 3 लड़कियों की तस्करी कर दी जाती है। कुछ का पता चलता है, लेकिन बड़ी संख्या में लड़कियां कभी वापस नहीं आतीं।

तीन साल में 13 लाख से ज्यादा लड़कियां लापता

भारतीय गृह मंत्रालय की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2021 के बीच 13.13 लाख महिलाएं और लड़कियां गायब हुईं। इनमें 18 साल से ऊपर की 10,61,648 महिलाएं और 18 साल से कम उम्र की 2,51,430 लड़कियां शामिल हैं। यह आंकड़े चिंताजनक हैं और देश की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं।

कौन से राज्य हैं सबसे ज्यादा प्रभावित

1. मध्य प्रदेश: 2019-2021 के बीच यहां से 1,60,180 महिलाएं और 38,234 लड़कियां गायब हो गईं।

2. पश्चिम बंगाल: दूसरे स्थान पर रहा है, जहां 1,56,905 महिलाएं और 36,606 लड़कियां लापता हो गईं।

3. महाराष्ट्र: यहां 1,78,400 महिलाएं और 13,033 लड़कियां गायब हुईं।

कौन बना रहा है लड़कियों को शिकार

NCRB के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में भारत में कुल 2,250 मानव तस्करी के मामले दर्ज किए गए, जिनमें 6,036 पीड़ित शामिल थे। इनमें से 1,059 पीड़ित लड़कियां थीं। इसी साल 62,099 लड़कियों के अपहरण के मामले और 62,946 लड़कियों के लापता होने के मामले सामने आए। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि मानव तस्करी, जबरन मजदूरी, यौन शोषण, और बाल विवाह जैसे अपराधों के लिए लड़कियों का शिकार किया जा रहा है।

कब जागेगी सरकार

इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं और लड़कियों का गायब होना केवल आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि यह समाज में व्याप्त गहरी समस्याओं की ओर इशारा करता है। समय आ गया है कि सरकार और समाज मिलकर इस पर सख्त कदम उठाएं और इन मासूमों को सुरक्षित जीवन का हक दिलाएं। लड़कियों की सुरक्षा केवल कानून का विषय नहीं, बल्कि समाज की जिम्मेदारी भी है।

 

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