लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों से हड़कंप मचा है. 8-9 महीने में करीब 30 बच्चे सहित कई लोगों को भेड़िये अपना शिकार बना चुके हैं. हालांकि भारत में पाए जाने वाली भेड़ियों की प्रजाति अपने अस्तित्व के लिए लगातर संघर्ष कर रही है और इनकी संख्या सिर्फ दो हजार के करीब रह गई है. अगर पर्यावरण की स्थिति से देखें तो भेड़िये बेहद महत्वपूर्ण जीव हैं, जो जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र की अनिवार्य कड़ी हैं.
अमेरिका के येलोस्टोन नेशनल पार्क से भेड़िए शिकार की वजह से 1920 के दशक तक लुप्त हो चुके थे, जिसके कारण एल्क और हिरन जैसे जीवों की संख्या बढ़ गई थी. घास और झाड़ियां चरने वाले जानवरों की संख्या अधिक होने से जंगल के पारिस्थितिकी का पूरा संतुलन बिगड़ गया था. चूहे और खरगोश जैसे जीवों को रहने के लिए जगह नहीं बची थी. इससे ग्रिजली भालुओं की संख्या में भी गिरावट आ गई.
इसके बाद ग्रे भेड़ियों को साल 1995 में फिर से अपना घर मिला और येलोस्टोन नेशनल पार्क में 41 भेड़ियों को वापस लाया गया. इसके बाद भेड़ियों ने जो किया, शायद ही किसी को उम्मीद नहीं थी. उन्होंने सबसे पहले हिरन का शिकार करना शुरू किया. इससे हिरनों के व्यवहार में बदलाव दिखने लगा. उन्होंने घाटियों जैसे किनारों से दूरी बनानी शुरू कर दी और इससे ऊंचे-ऊंचे पेड़ उगने शुरू हुए और घाटियां 6 साल में घने जंगल में बदल गई. कई पशु-पक्षी वापस आ गए.
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