नई दिल्ली: राहुल गांधी की अगुवाई वाली ये पदयात्रा अपने अंतिम चरण में है जहां 30 जनवरी को इस यात्रा के पूरे होने की उम्मीद है. इस दौरान मंगलवार को राहुल गांधी होशियारपुर पहुंचे जहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की. इसी बीच जब राहुल गाँधी से वरुण गांधी की कांग्रेस एंट्री को लेकर सवाल किया […]
नई दिल्ली: राहुल गांधी की अगुवाई वाली ये पदयात्रा अपने अंतिम चरण में है जहां 30 जनवरी को इस यात्रा के पूरे होने की उम्मीद है. इस दौरान मंगलवार को राहुल गांधी होशियारपुर पहुंचे जहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की. इसी बीच जब राहुल गाँधी से वरुण गांधी की कांग्रेस एंट्री को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘मैं उनसे मिल सकता हूँ, उन्हें गले लगा सकता हूं लेकिन हमारी विचारधारा नहीं मिलती.’
राहुल गांधी आगे कहते हैं कि ‘वो बीजेपी में हैं, यहां चलेंगे तो उन्हें दिक्कत हो जाएगी. लेकिन मेरी विचारधारा उनकी विचारधारा से अलग है. मेरी विचारधारा के अनुसार मैं आरएसएस के दफ्तर में कभी नहीं जा सकता. चाहें आप मेरा गला तक काट दीजिए.’ . कांग्रेस सांसद आगे कहते हैं, ”मेरा परिवार है, उसकी एक विचारधारा है. वरुण ने एक समय, शायद आज भी उस विचारधारा को अपनाया है. उस विचारधारा को अपना बनाया, मैं उस बात को स्वीकार नहीं कर सकता. राहुल ने कहा, मैं उनसे प्यार से मिल सकता हूं, गले लग सकता हूं, मगर उस विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकता हूं. ये मेरे लिए अस्वीकार है. मेरा पॉइंट विचारधारा की लड़ाई पर है.”
गौरतलब है कि भाजपा सांसद वरुण गांधी को इन दिनों अपनी ही पार्टी की खुली आलोचना करते देखा जा रहा है.उनके इन बयानों से तमाम अटकलें लगाई जा रहे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या वह कांग्रेस में एंट्री कर सकते हैं. इस में वह अपना मार्ग प्रशस्त करने में लगे हुए हैं. ऐसा लगता है कि भाजपा के साथ उनका मोहभंग हो रहा है. पिछले 2 साल से अधिक समय से उन्होंने कई मुद्दों को लेकर अपनी ही सरकार को घेरा है उससे इन अटकलों को और बल मिला है.
वरुण गांधी भाजपा के फायरब्रांड नेता हैं. उन्होंने बहुत से मौकों पर अपने बेबाक बयानों से सुर्खियां बटोरीं। साला 2009 में, वरुण गांधी, जो भाजपा की हिंदुत्व राजनीति का चेहरा थे, उन्होंने पीलीभीत में एक सार्वजनिक रैली में अल्पसंख्यक समुदाय के बारे में एक भड़काऊ बयान दिया। वरुण गांधी ने बाद में कहा था कि “यदि गलत तत्वों का व्यक्ति किसी हिंदू पर यह सोचकर हाथ उठाता है कि यदि वह कमजोर है तो गीता पर हाथ रखकर मैं कहता हूं कि मैं उस हाथ को काट दूंगा।” वरुण गांधी के इस बयान का खूब बवाल हुआ था. वरुण के इस बयान को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने सवाल खड़े किए, यहां तक कि बीजेपी के कुछ नेताओं ने वरुण के उस बयान से दूरी बना ली.
सांप्रदायिक विचार भी एक कारण
यही नहीं, वरुण गांधी कई मौकों पर कभी राम मंदिर तो कभी कट्टर हिंदुत्व पर अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं और इसीलिए राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी अलग है और हमारी पार्टी अलग है. इसका मतलब है कि हम दोनों की विचारधाराएं अलग-अलग हैं। राहुल गांधी ने भले ही यह बात सीधे तौर पर न कही हो, लेकिन वे यह स्पष्ट करना चाहते थे कि वरुण गांधी साप्रदायिकता नीति करने वालों के साथ हैं।
हालाँकि, हाल के वर्षों में वरुण गांधी के सुर बदले हुए नज़र आ रहे हैं। वह अब पहले की तरह गांधी-नेहरू की नीतियों का विरोध नहीं करते और न ही अल्पसंख्यक विरोधी बयान देते हैं। पिछले साल पीलीभीत में ही एक जनसभा में वरुण गांधी ने कहा था कि “मैं एक आस्तिक हिंदू हूं। मैं हर एकादशी पर व्रत भी रखता हूं और मेरे घर में भी देवी की अखंड ज्योति प्रज्वलित रहती है। मेरे घर के मंदिर में श्री हनुमान भी विराजमान हैं लेकिन आज मैं आपको एक बात बता दूं कि हिंदू-मुस्लिम नीति या नफरत की नीति के चलते इस देश को नुकसान पहुंच रह है। वरुण गांधी ने यह भी कहा था कि “जयश्री राम की नीति” देश को नुकसान पहुंचा रही है”।
पिछले दिनों एक जनसभा के दौरान वरुण गांधी ने चौंकाने वाला संबोधन दिया था. इस दौआन उन्होंने कहा था कि वह ना तो मैं नेहरू जी के खिलाफ हैं, ना ही कांग्रेस के खिलाफ। उन्होंने आगे कहा था कि, ‘राजनीति देश को आगे बढ़ाने के लिए होनी चाहिए ना कि गृह युद्ध पैदा करने के लिए.’ उनके इस बयान को लेकर भी कयास लगाए जा रहे थे कि कहीं ना कहीं उनका झुकाव भाजपा से हटकर कांग्रेस की तरफ बढ़ रहा हैं.