नई दिल्ली: बचपन में जब हम गर्मियों में छत पर सोते थे, तो आसमान में हजारों तारे चमकते दिखाई देते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अगर आप भारत के किसी बड़े शहर में रहते हैं और रात के आसमान में तारों को देखना चाहते हैं, तो यह लगभग नामुमकिन हो गया है। खासतौर से दिल्ली एनसीआर में तो तारे जैसे गायब ही हो गए हैं। यहां तक कि गांवों में भी अब रात का वो नज़ारा नहीं दिखता, जो पहले होता था। ऐसे में सवाल उठता है, क्या हम भविष्य में कभी भी आसमान में तारे नहीं देख पाएंगे? आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
अगर आपको लगता है कि तारे आसमान से गायब हो रहे हैं, तो ये सही नहीं है। तारे अब भी वहीं हैं, जहां पहले थे। असल में, हमें तारे नज़र नहीं आने की असली वजह है प्रकाश प्रदूषण यानी लाइट पॉल्यूशन। शहरों में बेतहाशा बढ़ रही रोशनी की वजह से आसमान इतना चमकदार हो गया है कि तारों की हल्की रोशनी उसमें दब जाती है और हमें तारे दिखाई नहीं देते।
प्रकाश प्रदूषण, इंसानों द्वारा बनाई गई रोशनी है, जो रात के समय आसमान को इतना चमकदार कर देती है कि तारे गायब हो जाते हैं। बड़े शहरों में शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की वजह से यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि दुनिया की लगभग 80% आबादी ऐसी जगहों पर रहती है, जहां तारों को साफ देख पाना बहुत मुश्किल हो गया है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर प्रकाश प्रदूषण इसी रफ्तार से बढ़ता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब हम धरती से नंगी आंखों से तारे देख ही नहीं पाएंगे। सिर्फ तारों का गायब होना ही नहीं, बल्कि प्रकाश प्रदूषण से अंतरिक्ष अनुसंधान और खगोल विज्ञान पर भी बुरा असर पड़ रहा है। कई खगोलीय घटनाएं जैसे उल्का वर्षा, ग्रहों का दिखना और आकाशगंगा की झलक भी भविष्य में नामुमकिन हो सकती है।
NASA के सुओमी नेशनल पोलर-ऑर्बिटिंग पार्टनरशिप (NPP) सैटेलाइट से मिली जानकारी के अनुसार, शहरी इलाकों में निकलने वाली कृत्रिम रोशनी हाल के वर्षों में तेज़ी से बढ़ी है। ये रोशनी, जो स्ट्रीट लाइट और इमारतों से आती है, आसमान में “स्काईग्लो” नाम का प्रभाव बनाती है। इसके कारण रात का आकाश इतना रोशन हो जाता है कि तारों और अन्य खगोलीय पिंडों की रोशनी दब जाती है और हम उन्हें देख नहीं पाते।
प्रकाश प्रदूषण से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि हम शहरों में अनावश्यक रोशनी को कम करें। स्ट्रीट लाइट्स और बिल्डिंग्स में स्मार्ट लाइटिंग का इस्तेमाल किया जाए, जो सिर्फ जरूरत के हिसाब से काम करे। यह छोटे कदम न केवल हमें फिर से तारों की खूबसूरती दिखाएंगे, बल्कि खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष अध्ययन में भी मददगार साबित होंगे।
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