क्या जुगाड़ से टलेगा जोशीमठ का खतरा? अब मिट्टी से भरी जा रही हैं दरारें

जोशीमठ: उत्तराखंड के जोशीमठ का नज़ारा इस वक़्त बेहद भयावह है। वहाँ दीवारें दरक रहीं हैं और पूरा शहर जमीन में धंस रहा है। आलम ऐसा है कि वहाँ घरों की दीवारों को चीरकर पानी बह रहा है। बदरीनाथ धाम से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर स्थित जोशीमठ से कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जो […]

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क्या जुगाड़ से टलेगा जोशीमठ का खतरा? अब मिट्टी से भरी जा रही हैं दरारें

Amisha Singh

  • January 17, 2023 4:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

जोशीमठ: उत्तराखंड के जोशीमठ का नज़ारा इस वक़्त बेहद भयावह है। वहाँ दीवारें दरक रहीं हैं और पूरा शहर जमीन में धंस रहा है। आलम ऐसा है कि वहाँ घरों की दीवारों को चीरकर पानी बह रहा है। बदरीनाथ धाम से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर स्थित जोशीमठ से कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जो पूरे देश को डरा रही हैं। लैंडस्लाइड और दरकती दीवारों के चलते कई इलाकों में लोग बेघर हो रहे हैं और दहशत में जी रहे हैं।

 

अब मिट्टी से भरी जा रहे है गड्ढे

दूसरी तरफ तमाम शोध और तकनीक का इस्तेमाल करने के बाद अब मजदूरों की मदद से दरारें भरी जा रही हैं। खेतों में दरारें लगातार चौड़ी होकर गड्ढों में तब्दील हो गई। ऐसे में अब उन गड्ढों को बैकफिल मिट्टी से समतल कर दिया गया है। अभी तक विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की टीम इसका पता नहीं लगा पाई है कि इन दरारों के पीछे क्या वजह है? तलाशी का सिलसिला बदस्तूर जारी है, लेकिन PWD ने बड़ी-बड़ी दरारों को मिट्टी से भरना शुरू कर दिया है। इसके पीछे तर्क यह है कि दरारें व गड्ढे भरने से बारिश का पानी कुओं में नहीं जाएगा और जमीन में आगे और दरार नहीं पड़ेगी। हालांकि, इसकी शुरुआत मनोहर बाग इलाके में हुई, लेकिन यह जुगाड़ कितना कारगर होगा, यह देखना बाकी है।

मसूरी में भी खतरे की घंटी

जोशीमठ आपदा अपने साथ आस-पास के इलाकों के लिए भी जोखिम साबित हो रही है। ताज़ा खबरों की मानें पहाड़ों की रानी मसूरी के लिए खतरे की घंटी बज गई है, यहां आए दिन हो रहे भू-स्खलन की मुख्य वजह धड़ल्ले से हो रहे विकास कार्यों को जाता है। मसूरी का भी ऐसा हाल क्षमता से अधिक निर्माण और विकास परियोजनाओं के कारण यह पर्यटन क्षेत्र भी आपदा की ओर बढ़ रहा है।

 

लगा रहता है सैलानियों का जमावड़ा

मालूम हो कि मसूरी देश के प्रसिद्ध हिल स्टेशनों में से एक है। इस कारण यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। यहां कई हिस्से ऐसे हैं जहां से लगातार भूस्खलन की बात सामने आ रही है. सबसे खराब स्थिति लंढौर और अटाली शहरों की है। लंढौर चौक से कोहिनूर बिल्डिंग तक की 100 मीटर लंबी सड़क धीरे-धीरे धंस रही है। इसके अलावा मसूरी के अन्य पर्यटन स्थल भी आपदा की चपेट में हैं। विशेषज्ञों के अनुसार जिम्मेदार निर्माण गतिविधियां और जलभराव इस भूस्खलन के मुख्य कारण हैं।

15% इलाके में ज्यादा खतरा

खबरों की मानें तो मसूरी में और उसके आसपास के लगभग 15% क्षेत्र में भूस्खलन का खतरा है। सबसे संवेदनशील बाटाघाट, जॉर्ज एवरेस्ट, केम्प्टी फॉल और खट्टापानी के इलाके हैं. विशेषज्ञों के अनुसार इन क्षेत्रों में दरारें या चूना पत्थर की चट्टानें हैं, जो आपदा की वजह बन सकती हैं।

 

 

 

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