लखनऊ : कुछ तो गड़बड़ है…. बता दें हाल ही में समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को चिरकुट कह दिया जिस पर अजय राय ने कहा सुना है अखिलेश यादव सैनिक स्कूल में पढ़े हैं और शायद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से भी पढ़ाई की है जब उन्होंने अपने पिता का […]
लखनऊ : कुछ तो गड़बड़ है…. बता दें हाल ही में समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को चिरकुट कह दिया जिस पर अजय राय ने कहा सुना है अखिलेश यादव सैनिक स्कूल में पढ़े हैं और शायद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से भी पढ़ाई की है जब उन्होंने अपने पिता का सम्मान नहीं किया तो हमारा तो क्या ही करेंगे। और दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में अखिलेश यादव को कमलनाथ ने पत्रकार वार्ता में कहा छोड़ो अखिलेश-वखिलेश। इन बयानों से आहत अखिलेश यादव के पुराने बयान को याद किया जा है. जिसमे उन्होंने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले अमेठी और रायबरेली में समाजवादी पार्टी को मैदान में उतरने की बात कही थी. अब देखना यह होगा 2024 में इन सीटों पर सपा अपना सिक्का जमा पाएगी। वर्ष 2019 में अमेठी कांग्रेस के हाथ से फिसल गयी, बता दें वहीँ रायबरेली में सोनिया गाँधी काफी लम्बे समय से पहुंची नहीं हैं, लेकिन इसीबीच भाजपा की रायबरेली में दिलचस्पी को देखते हुए 2024 में चुनौती कठिन बन सकती है. वहीँ दूसरी तरफ मध्यप्रदेश की सियासी आंधी की चपेट में अब उत्तरप्रदेश भी आ चुका है।
I.N.D.I.A.गठबंधन के विस्तार से लग रहा था अमेठी और रायबरेली से सपा खुद को अलग कर लेगी, लेकिन मध्य प्रदेश के सियासी तूफान के बाद अखिलेश यादव के द्वारा अमेठी और रायबरेली के नेताओ को 25 अक्टूबर को लखनऊ बुलाया जा सकता है और इसी प्रकार की खबरे आ रही हैं, इस बीच ऐसा माना जा सकता है की विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन में अभी कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।
गाँधी परिवार की अमेठी को लेकर उम्मीद बरकरार
बता दें अमेठी की सीट को लेकर गाँधी परिवार उम्मीद लगाए हुए हैं सबको लगता है की राहुल या प्रियंका इस पारवारिक सीट को मैदान में उतरेंगी, हाल हि में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा I.N.D.I.A. गठबंधन मिलकर भाजपा को हराएंगे।
अमेठी – रायबरेली में सपा का साथ
साल 2019 में कांग्रेस की अमेठी हार के बाद आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर अगर – मगर है और दूसरी और साल 2019 में रायबरेली से सोनिया गाँधी की जीत लेकिन संसदीय क्षेत्र में उनकी गैर मौजूदगी उनकी अगली उम्मीदवारी पर संसय पैदा कर रही है. उत्तर प्रदेश में भले ही कांग्रेस की 80 सीटें हो लेकिन अमेठी -रायबरेली में गाँधी परिवार को सपा के साथ की जरुरत है. यहाँ सपा की सक्रियता लोकसभा चुनाव का रुख बदल सकती है.