नई दिल्ली: राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जब राजस्थान पहुंची तो यह दिखाने की कोशिश की गई कि अब सब ठीक है, सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहा विवाद भी थमता दिख रहा था, लेकिन अगले दिन दौसा में पायलट गुट के समर्थकों ने नारा लगाया- ‘हमारा सीएम कैसा हो… […]
नई दिल्ली: राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जब राजस्थान पहुंची तो यह दिखाने की कोशिश की गई कि अब सब ठीक है, सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहा विवाद भी थमता दिख रहा था, लेकिन अगले दिन दौसा में पायलट गुट के समर्थकों ने नारा लगाया- ‘हमारा सीएम कैसा हो… सचिन पायलट जैसा हो’. इससे साफ हो गया कि उनकी इच्छा क्या है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या किसानों का समर्थन अगले चुनाव में सचिन को कांग्रेस का पायलट बना पाएगी?
आपको बता देंम सचिन पायलट ने आज सोमवार को नागौर के परबतसर से पांच दिनी किसान सम्मेलन की शुरुआत कर दी है. खबर है कि हनुमानगढ़, झुंझुनूं, पाली और जयपुर में भी किसान सम्मेलन करेंगे.लेकिन उनकी टाइमिंग को लेकर काफी सवाल उठते रहे हैं। दरअसल, सोमवार से राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत जयपुर में सरकार के कामकाज पर विचार शिविर का आयोजन करेंगे. इसमें कहा गया है कि विधायक का रिपोर्ट कार्ड भी तैयार किया जाएगा। गहलोत का कांग्रेस के संगठन और सरकार पर नियंत्रण है, इसलिए कांग्रेस का सारा ध्यान चिंतन शिविर पर रहेगा, लेकिन सचिन भी किसी भी मामले पीछे नहीं हैं, शायद इस दौर में किसान सम्मेलन के आयोजन का लक्ष्य अपनी ताकत दिखाना है. .
राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों कांग्रेस की संपत्ति हैं। हकीकत यह है कि गहलोत और सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस अभी भी असमंजस में है, इसकी असली वजह राजस्थान में ट्रेंड है, इस लिहाज से इस चुनाव में कांग्रेस को नुकसान होने की संभावना ज्यादा है, हालांकि पार्टी को लगता है गहलोत राजस्थान की जनता के सामने अपने आखिरी चुनाव का इमोशन कार्ड खेलकर कांग्रेस के लिए संजीवनी बनने की कोशिश कर सकते हैं.
सितंबर 2022 में अशोक गहलोत की आलाकमान के खिलाफ बगावत के बाद वह बैठक बाकी है जिसमें राजस्थान को लेकर तमाम बड़े फैसला लिए जाएंगे। ऐसे खबरों की मानें तो उस बैठक में ही राजस्थान के सीएम को लेकर अहम फैसला लिया जा सकता है कि कमान गहलोत के हाथ में रहेगी या फिर साडी जिम्मेदारी पायलट के पास जाती है. वैसे आपको बता दें, कांग्रेस को डर है कि अगर चुनाव से 10 महीने पहले पायलट अध्यक्ष बने तो उनके पास काम करने के लिए बेहद कम समय बचेगा. ऐसी स्थिति में राजस्थान का हाल पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के जैसा भी हो सकता है.