नई दिल्ली : खंभालिया देवभूमि द्वारका विधानसभा सीट (81) – ये सीट तब से सुर्ख़ियों में आ चुकी है जब से आम आदमी पार्टी ने इस सीट से अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार असुदान गढ़वी को मैदान में उतारा है। खंभालिया विधानसभा इलाके में 129 गांव और 3 नगर पालिका आते हैं। मतदाताओं के लिहाज़ से अगर बात करें तो सबसे ज़्यादा यादव समुदाय के 52 हज़ार मतदाता इस सीट पर हैं, दूसरे संख्या पर आते हैं मुस्लिम वोटर और सत्वारा तीसरी सबसे बड़ी आबादी है, जिनके समुदाय में 35 हज़ार के आसपास मतदाता हैं।
इस सीट पर दलितों की संख्या है 18 हज़ार जो की काफ़ी ज़्यादा है, इसके अलावा गढ़वी और राजपूत समाज को मिलाकर 15 हज़ार वोटर हैं। अगर बात की जाए 2017 विधानसभा चुनावों की तो कांग्रेस के प्रत्याशी माडम विक्रम अर्जनभाई ने खंभालिया सीट पर जीत का परचम लहराया था। साल 1990 की विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस पार्टी को इस सीट से कामयाबी मिली थी, तब काग्रेस के उम्मीदवार थे वरोतारिया रानमल नरभाई जिन्होंने भाजपा के प्रत्याशी तन्ना जगजीन्द जामसदास को हराया था, लेकिन उसके बाद कांग्रेस पार्टी को दोबारा इस सीट को हासिल करने के लिए 2017 विधानसभा के चुनावों तक इंतज़ार करना पड़ा। बाद के दौर में भाजपा इस सीट को जीतने में कामयाब हो गई ।
1. भाजपा से मुलुभाई हरदासभाई बेरा – 57 वर्षीय मुलुभाई हरदासभाई बेरा ने 10वीं तक की पढ़ाई की है और पेशे से किसान हैं। अगर बात की जाए उनकी छवि की तो उनके ऊपर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। चुनाव आयोग को दिए अपने हलफ़नामे में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 9 लाख 50 हज़ार बताई है।
2. कांग्रेस से माडम विक्रम अर्जनभाई – कांग्रेस पार्टी इस सीट से 59 वर्षीय विक्रम अर्जनभाई माडम को मैदान मे उतारा है, इन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई की है और पेशे से किसान और डेवेलपर का काम करते हैं। इनकी छवि इस इलाके में बेहद साफ़-सुथरी है और इनके ऊपर कोई आपराधिक मामला नहीं दर्ज है। चुनाव आयोग को दिए हलफ़नामे में इन्होंने अपनी कुल संपत्ति 23 लाख 20 हज़ार बताई है।
3. आम आदमी पार्टी से ईसुदान गढ़वी – गुजरात के पिपलिया इलाके में जन्में ईसुदान गढ़वी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई जाम खंभालिया से हासिल की है और इसके बाद वो दूरदर्शन से जुड़ गए, उनके पास स्थानीय न्यूज़ चैनल में बतौर रिपोर्टर काम करने का भी अनुभव है। साल 2015 में इसुदान अहमदाबाद के एक बड़े नामी गिरामी गुजराती चैनल “वी-टीवी” से एडिटर के तौर पर काम कर रहे थे। जब वो एडिटर बनें तो उनकी उम्र महज़ 32 साल ही थी। ईसुदान को गुजरात में शोहरत तब मिली जब उन्होंने “महामंथन” नाम का शो किया था। इस शो के ज़रिये उन्होंने आम लोगों ख़ासकर किसानों के मुद्दों पर बात की और उनकी ज़िंदगी से जुड़ी परेशानियों के ऊपर फोकस किया। उनके इसी काम की वजह से सौराष्ट्र के किसानों के बीच वो ख़ासे मशहूर हुए। उनका परिवार पेशे से किसान है और इनके पिता खेराजभाई गढ़वी आज भी खेती-बाड़ी का ही काम करते हैं।
4. इन तीनों पार्टियों के उम्मीदवारों के अलावा असदउद्दीन ओवैसी ने बुख़ारी याकूब मोहम्मद हुसैन को इस सीट पर उतार कर इस सीट के सियासी समर को बेहद दिलचस्प बना दिया है।
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