सरसों को लेकर क्यों बंट गए सुप्रीम कोर्ट के जज? अलग-अलग दिया फैसला, जानिए पूरा मामला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जजों ने सरसों से जुड़े एक मामले में अलग-अलग फैसला सुनाया है. भारत में आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों की व्यावसायिक बिक्री की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं इसको लेकर मंगलवार को फैसला सुनाया.

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सरसों को लेकर क्यों बंट गए सुप्रीम कोर्ट के जज? अलग-अलग दिया फैसला, जानिए पूरा मामला

Deonandan Mandal

  • July 24, 2024 6:42 am Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जजों ने सरसों से जुड़े एक मामले में अलग-अलग फैसला सुनाया है. भारत में आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों की व्यावसायिक बिक्री की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं इसको लेकर मंगलवार को फैसला सुनाया. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सरसों की संकर किस्म डीएमएच-11 को बीज उत्पादन और परीक्षण के लिए पर्यावरण में छोड़ने के केंद्र सरकार के वर्ष 2022 के फैसलों की वैधता पर खंडित फैसला सुनाया है.

न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने मंगलवार को जीएम सरसों को पर्यावरण में छोड़े जाने की सिफारिश करने के जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) के (18 और 25) अक्टूबर 2022 को सुनाए गए ट्रांसजेनिक सरसों हाइब्रिड डीएमएच-11 को पर्यावरण में छोड़े जाने संबंधी फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की.

आपको बता दें कि जीईएसी आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) जीवों के लिए देश की नियामक संस्था है. इस मामले में दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने अलग-अलग राय दी. पीठ ने इस मामले को प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष रखे जाने का निर्देश दिया ताकि इस पर कोई दूसरी पीठ फैसला दे सके. हालांकि दोनों न्यायाधीशों ने आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) फसलों पर केंद्र को एक राष्ट्रीय नीति तैयार करने का निर्देश दिया है.

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