नई दिल्ली: खेल मंत्रालय ने रविवार को भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया. जिससे महज 3 दिन पहले कुश्ती संघ अध्यक्ष का चुनाव जीतने वाले संजय सिंह को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी है. निलंबन के बाद खेल मंत्रालय ने कुश्ती संघ के कामकाज को देखने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ को एक कमेटी बनाने […]
नई दिल्ली: खेल मंत्रालय ने रविवार को भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया. जिससे महज 3 दिन पहले कुश्ती संघ अध्यक्ष का चुनाव जीतने वाले संजय सिंह को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी है. निलंबन के बाद खेल मंत्रालय ने कुश्ती संघ के कामकाज को देखने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ को एक कमेटी बनाने के लिए कहा है. यही समिति अब भारतीय पहलवानों से जुड़े हुए सारे फैसले लेगी. इसके साथ ही आने वाले वक्त में नए सिरे से चुनाव होगा और नए अध्यक्ष के नेतृत्व में कुश्ती संघ का पुनर्गठन होगा.
आइए जानते हैं कि चुनाव होने के बाद महज तीन दिन के अंदर ही कुश्ती संघ को निलंबित करने के पीछे की क्या वजह है…
बता दें कि खेल मंत्रालय ने संजय सिंह की अध्यक्षता वाले भारतीय कुश्ती संघ को संविधान का उल्लंघन करने पर निलंबित किया है. संजय सिंह ने अध्यक्ष बनते ही जल्दबाजी में फैसला लिया, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है. कुश्ती संघ के चुनाव के बाद संजय सिंह के नेतृत्व वाले प्रशासनिक निकाय ने बिना पहले सूचना दिए हुए गुरुवार को अंडर-15 और अंडर-20 नेशनल की घोषणा कर दी और इसका आयोजन 20 से दिसंबर दिसंबर तक यूपी के गोंडा में स्थित नंदिनी नगर में निर्धारित किया. मालूम हो कि नंदिनी नगर कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का गढ़ है.
इस पूरे मामले को खेल मंत्रालय ने काफी गंभीरता से लिया. कुश्ती संघ को निलंबित करते वक्त खेल मंत्रालय ने बताया कि डब्ल्यूएफआई के संविधान की प्रस्तावना के खंड-3 (ई) के मुताबिक, कार्यकारी समिति के द्वारा चयनित स्थानों पर यूडब्ल्यूडब्ल्यू नियमों के अनुसार जूनियर और सीनियर आयोजित कराने की व्यवस्था है. खेल मंत्रालय ने पाया है कि नवनिर्वाचित कुश्ती संघ पूरी तरह से संविधान की अवहेलना करते हुए पूर्व पदाधिकारियों के पूर्ण नियंत्रण में प्रतीत होता है. इन्हीं सब वजहों को देखते हुए खेल मंत्रालय ने नए कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया.