नोएडा, नोएडा के सेक्टर 93ए में आज गगनचुंबी दो इमारतें मिट्टी में मिल गई, आज ट्विन टावर पर देशभर की निगाहें थीं. एक जोरदार धमाके के साथ कुतुब मीनार से भी ऊंचे टावर महज कुछ सेकेंड में धूल और मलबे में तब्दील हो गए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अरबों की लागत से बने […]
नोएडा, नोएडा के सेक्टर 93ए में आज गगनचुंबी दो इमारतें मिट्टी में मिल गई, आज ट्विन टावर पर देशभर की निगाहें थीं. एक जोरदार धमाके के साथ कुतुब मीनार से भी ऊंचे टावर महज कुछ सेकेंड में धूल और मलबे में तब्दील हो गए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अरबों की लागत से बने ट्विन टावर को क्यों ध्वस्त किया जा रहा है? आखिर ऐसी क्या गलती हो गई, जिसकी वजह से ये इमारत ध्वस्त किए गए, आइए आपको पूरी कहानी बताते हैं:
ये बात है साल 2004 की है और दिन था 23 नवंबर, नोएडा अथॉरिटी ने इस दिन सेक्टर 93ए में ग्रुप हाउसिंग का प्लॉट नंबर 4 एमराल्ड कोर्ट को आवंटित किया और इस प्रोजेक्ट के तहत अथॉरिटी ने ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी को 14 टावर का नक्शा आवंटित किया, जिसके तहत सभी टावर ग्राउंड फ्लोर के साथ नौवीं मंजिल तक पास किए गए. इसके बाद साल 2006, 29 दिसंबर को नोएडा अथॉरिटी ने ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के प्रोजेक्ट में पहला संशोधन किया और इस टावर में दो मंज़िल और बनाने का फैसला लिया, जिसके बाद 14 टावर मिलाकर ग्राउंड फ्लोर के अलावा 9 मंजिल की जगह 11 मंजिल बनाने का नक्शा पास हुआ. इसके बाद टावर 15 का भी नक्शा पास किया गया, इसी तरह नोएडा अथॉरिटी ने 16 टावर का नक्शा पास किया जिसके तहत अब कुल 16 टावर के लिए 11 मंजिल की इजाजत दी गई और इसकी ऊंचाई 37 मीटर रखी गई.
इसके बाद साल 2009, 26 नवंबर को नोएडा अथॉरिटी ने टावर नंबर 17 का नक्शा पास किया, जिसमें टावर नंबर 16 और 17 पर 24 मंजिल बनाने का नक्शा पास हुआ और इसकी ऊंचाई 73 मीटर तय कर दी गई. नोएडा अथॉरिटी यहीं नहीं रुकी इसके बाद अथॉरिटी ने टावर के नक्शे में तीसरा संशोधन किया गया बता दें यह संशोधन 2 मार्च 2012 में किया गया जिसमें टावर नंबर 16 और 17 के लिए एफएआर और बढ़ा दिया गया जिसके तहत इन दोनों टावर की ऊंचाई 40 मंजिल तक करने की इजाजत दे दी गई और ऊंचाई 121 मीटर तय कर दी गई.
इस मामले में आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष उदय भान सिंह बताते हैं नेशनल बिल्डिंग कोड के नियम के मुताबिक, किसी भी दो आवासीय टावर के बीच में कम से कम 16 मीटर की दूरी जरूर होनी चाहिए लेकिन इस प्रोजेक्ट में टावर नंबर 1 और ट्विन टावर में 9 मीटर से भी कम की दूरी रखी गई है. उन्होंने बताया कि जहां पर टावर नंबर 16 और 17 बनाए गए हैं उसी जगह बिल्डर ने लोगों को जब फ्लैट दिया था तो उसे ओपन स्पेस दिखाया था, साल 2008 का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि बिल्डर ने एमराल्ड कोर्ट में टावर नंबर 1 से 15 पर कब्जा करना शुरू कर दिया और इसके बाद साल 2009 में फ्लैट बायर्स ने आरडब्लूए बनाई और इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने का फैसला किया, जिसके तहत लंबी लड़ाई लड़ने के बाद ट्विन टावर को अवैध घोषित किया गया.
Twin Tower: 9 सेकेंड में मलबे का ढेर बन गया ‘ट्विन टावर’, 3700 किलोग्राम विस्फोटकों ने किया जमींदोज