क्यों मांगुर मछली पर लगा है बैन, जानिए क्या सच में है ये सेहत के लिए हानिकारक

नई दिल्ली: भारतीय सरकार ने मांगुर मछली पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। इस प्रतिबंध का मुख्य कारण स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़ी चिंताएँ हैं। मांगुर मछली, जिसे “थाई मांगुर” या “हाइब्रिड मांगुर” भी कहा जाता है, गंदे पानी में तेजी से बढ़ने की क्षमता रखती है और अन्य मछलियों का शिकार करती है। […]

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क्यों मांगुर मछली पर लगा है बैन, जानिए क्या सच में है ये सेहत के लिए हानिकारक

Shweta Rajput

  • August 1, 2024 9:06 am Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: भारतीय सरकार ने मांगुर मछली पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। इस प्रतिबंध का मुख्य कारण स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़ी चिंताएँ हैं। मांगुर मछली, जिसे “थाई मांगुर” या “हाइब्रिड मांगुर” भी कहा जाता है, गंदे पानी में तेजी से बढ़ने की क्षमता रखती है और अन्य मछलियों का शिकार करती है। इसके शरीर में आयरन और लेड की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।

स्वास्थ्य पर पड़ता है इसका प्रभाव

मांगुर मछली को विशेष रूप से अपशिष्ट जल और अन्य प्रदूषित स्थानों में पाला जाता है। ऐसे स्थानों में पालन से मछली में हानिकारक रसायन और बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है, जो मानव उपभोग के लिए खतरनाक हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मछली में भारी धातुएं और विषैले पदार्थ हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकते हैं। इसके सेवन से पेट और आंत संबंधी समस्याएँ, विषाक्तता, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। कई शोधों में पाया गया है कि मांगुर मछली को खाने से कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि यह मछली दूषित पानी और सड़े-गले मांस में जीवित रहती है, जिससे इसमें लेड की मात्रा अधिक हो जाती है। लेड के उच्च स्तर के कारण मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं यह मछली अन्य प्रजातियों के लिए भी खतरा बनती है, क्योंकि यह उनके लिए भोजन की प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करती है और कई मामलों में उन्हें नष्ट भी कर देती है।

पर्यावरण पर पड़ता है इसका प्रभाव

मांगुर मछली एक आक्रामक प्रजाति है, जो स्थानीय जैवविविधता को नुकसान पहुंचा सकती है। यह मछली तेजी से प्रजनन करती है और अन्य प्रजातियों के लिए खाद्य और आश्रय स्रोतों को समाप्त कर सकती है, जिससे स्थानीय मछलियों की आबादी को खतरा हो सकता है। इसके अलावा, यह मछली पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे पानी की गुणवत्ता में गिरावट और स्थानीय वनस्पतियों और जीवों की संरचना में बदलाव हो सकते हैं। यह मछली तालाबों और जलाशयों में रहने वाली अन्य मछलियों और जलीय जीवों को खा जाती है, जिससे तालाब का पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाता है। इसके कारण स्थानीय जैव विविधता को भी नुकसान पहुंचता है। परंतु प्रतिबंध के बावजूद देश के कुछ हिस्सों में मांगुर मछली की खेती और बिक्री जारी है। इसकी खेती करने वालों के लिए यह मछली आर्थिक रूप से लाभकारी है क्योंकि यह तेजी से बढ़ती है और इसके पालन में कम लागत आती है। सरकारी फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोगों ने इस कदम का स्वागत किया है, इसे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया है। वहीं कुछ लोग जो मांगुर मछली के व्यापार से जुड़े हैं, उन्होंने इसे अपनी आजीविका पर सीधा हमला माना है।

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