गांधीनगर। गुजरात विधानसभा 2022 चुनाव के पहले चरण में कम वोटिंग का मामला कई सवालों को जन्म दे रहा है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पहले चरण के कम मतदान का सीधा फ़ायदा वर्तमान सरकार को मिल सकता है और ऐसा भी मुमकिन है की भाजपा एक बार फिर बहुमत के साथ सरकार बना ले। इस बार के चुनावों में जिस तरह से कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ने एक अजीब सी दूरी बना रखी है, उससे ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाएगी या शायद इस बार के चुनावों के नतीजे 2017 के नतीदों से भी ख़राब हों।
अगर बात की जाए भाजपा की तो पूरी पार्टी एक साथ मिलकर चुनाव प्रचार में जुटी हुई है, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह गुजरात के कई शहरों में जमकर प्रचार कर रहे हैं। इस चुनाव में तर्क दिया जा रहा था कि भाजपा एक लंबे समय से राज्य की सत्ता पर काबिज़ है जिस वजह से गुजरात की जनता इस बार सत्ता परिवर्तन का रुख़ कर सकती है लेकिन चुनावी लहर को देखते हुए यह बात साफ़ समझी जा सकती है की एंटी इनकंबेंसी जैसी कोई मुद्दा इस चुनाव में असर नहीं दिखा पा रहा है।
जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसा पार्टी का शीर्ष नेतृत्व धुआंधार चुनाव प्रचार कर रहा है उससे जनता के बीच ऐसा संदेश जा रहा है कि केवल एक ही पार्टी इस बार के चुनावों में रुचि दिखा रही है, इसी वजह से मतदाताओं ख़ासकर वो मतदाता जो पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने जा रहे हैं उनके सामने केवल एक ही पार्टी का दावा सबसे ज़्यादा मज़बूत है।
इसके अलावा विपक्ष ने प्रचार में कोई ख़ासी दिलचस्पी नहीं दिखाई जिससे ऐसा कोई अनुमान लगाया जा सके की किसी भी तरह का सत्ता परिवर्तन हो सकता है। राहुल गांधी ने “भारत जोड़ो” यात्रा में ही अपना सारा समय लगाया है और गुजरात चुनाव के प्रचार के लिए केवल दो ही दिन दिए, इन बातों से साफ़ हो जाता है कि गुजरात में कांग्रेस को अनुमान हे कि राज्य में उनका कोई भविष्य नहीं है और उनके लिए 2024 के लोकसभा चुनाव पर ध्यान देना ज़्यादा ज़रुरी है।
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