नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा में सांसदों का शपथ ग्रहण और स्पीकर का चयन हो चुका है. कोटा से बीजेपी सांसद ओम बिरला एक बार फिर से स्पीकर चुने गए हैं. हालांकि अभी तक डिप्टी स्पीकर के पद का चुनाव नहीं हुआ है. कांग्रेस पार्टी चाहती है कि किसी विपक्षी सांसद को यह पद मिले. कांग्रेस […]
नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा में सांसदों का शपथ ग्रहण और स्पीकर का चयन हो चुका है. कोटा से बीजेपी सांसद ओम बिरला एक बार फिर से स्पीकर चुने गए हैं. हालांकि अभी तक डिप्टी स्पीकर के पद का चुनाव नहीं हुआ है. कांग्रेस पार्टी चाहती है कि किसी विपक्षी सांसद को यह पद मिले. कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लगातार मांग कर रहे हैं कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाए.
आइए जानते हैं कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष के लिए क्यों अहम है और कांग्रेस पार्टी लगातार इस पद की मांग क्यों कर रही है…
बता दें कि सदन में स्पीकर की गैर-मौजूद रहने पर डिप्टी स्पीकर ही उनका सारा काम देखते हैं. उस दौरान डिप्टी स्पीकर के पास स्पीकर के सारे अधिकार होते हैं. वहीं अगर स्पीकर को इस्तीफा देना होता है तो वह डिप्टी स्पीकर को ही अपना इस्तीफा सौंपता है. इसके साथ ही अगर किसी मुद्दे पर सदन में वोटिंग होती है और पक्ष-विपक्ष के वोट समान होते हैं तो स्पीकर की तरह ही डिप्टी स्पीकर का भी वोट निर्णायक भूमिका में होता है.
संविधान के मुताबिक, नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद जल्द से जल्द स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चयन हो जाना चाहिए. हालांकि, इसके चयन के लिए कोई लिखित समय-सीमा नहीं है. यही वजह है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में डिप्टी स्पीकर के पद को खाली छोड़ दिया था. उस दौरान विपक्ष ने इस पद की मांग की थी, लेकिन एनडीए सरकार इसके लिए सहमत नहीं हुई थी. बता दें कि अब तक 8 बार सत्ताधारी पार्टी के पास और 11 बार विपक्ष के पास डिप्टी स्पीकर का पद रहा है.