नई दिल्ली। 26 जनवरी, 1950 को हिंदुस्तान का संविधान लागू किया गया था। इस दिन को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। संविधान दिवस मनाने की परंपरा साल 2015 से शुरु की गई थी। आज के दिन को राष्ट्रीय संवैधानिक दिवस के साथ ही राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
आज़ाद भारत की संविधान सभा को हमारे संविधान का मसौदा को तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिनों का वक्त लगा था। 15 अगस्त 1947 के बाद आज़ाद हिंदुस्तान ने एक ऐसे देश का सपना देखा था, जिसमें सबको इंसाफ़ और आगे बढ़ने के समान मौके मिल सकें। लिहाज़ा भारत के संविधान में हर उस बात का ख़याल रखा गया, जिससे ग़रीब और मज़लूम नागरिकों के साथ पूरी तरह से न्याय किया जा सके। संविधान के तैयार होने के बाद इसे 26 जनवरी 1950 में लागू कर दिया गया जिसे हम गणतंत्र दिवस के रुप में मनाते हैं।
भाजपा के नेता प्रमोद महाजन ने संसद में एक भाषण के दौरान भारत के प्रजातंत्र के बारे में एक दिलचस्प बात की थी, उन्होंने अपने भाषण के दौरान बताया कि जब वो और सरकार के कुछ मंत्री चीन के मंत्रीमंडल से मिले और चीनियों ने उनसे भारत के प्रजातंत्र के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि- मैं प्रमोद महाजन हूँ, मैं भारत में लोकसभा का सदस्य हूँ, मेरी पार्टी लोकसभा में सीटों की संख्या के लिहाज़ से देश की सबसे बड़ी पार्टी है, बावजूद इसके हम विपक्ष में हैं, चीनी ने चौंकते हुए पूछा कि आप सबसे बड़ी पार्टी हैं और फिर भी विपक्ष में बैठे हैं तो प्रमोद महाजन ने जवाब दिया हाँ और उन्होंने श्रीवल्लभ पाणी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये दल देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है।
….लेकिन सरकार से बाहर रहकर सरकार को समर्थन दे रहे हैं, फिर उन्होंने लोकसभा के तीसरे सबसे बड़े दल का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये पार्टी भी सरकार में नहीं है, इसके बाद का वाक़िया ग़ज़ब का है उन्होंने रमाकांत खलप की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये अपनी पार्टी के इकलौते प्रतिनिधि हैं लेकिन सरकार में हैं। बता दें कि ये वाक़िया हिंदुस्तान के लोकतंत्र और संविधान की ख़ूबसुरती को बख़ूबी बयान करता है, जिसमे बड़े-बड़े दल विपक्ष में बैठे हैं और एक ऐसा लोकसभा सदस्य जो कि अकेला अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहा है वो सत्ता में है।
गौरतलब है कि भारत का संविधान विश्व का सबसे संबा लिखित संविधान है, हमारे संविधान में 448 आर्टिकल हैं, जो कि 25 भागों में मौजूद हैं। इसे ‘Bag of Borrowings” की संज्ञा भी दी जाती है। जिसकी वजह ये है कि हमारा संविधान कई देशों के संविधानों की ख़ूबियों को अपने अंदर समाये हुए है। जैसे कि हमारी सरकार संसदीय व्यवस्था के अनुसार बनाई जाती है, जिसमें सरकार में एक प्रधानमंत्री होता है और मंत्रियों का एक पूरा कैबिनेट होता है और इसे प्रधानमंत्री के आदेशों के अनुसार काम करना होता है। भारत में प्रधानमंत्री “Head of Government” यानि सरकार का प्रमुख होता है, जबकि राष्ट्रपति “Head of State” यानि राष्ट्राध्यक्ष होता है। हमारे देश में सरकार की संसदीय व्यवस्था के तहत एक या एक से ज़्यादा विपक्षी दल भी होते हैं जिनका मकसद सरकार के कामकाज पर निगरानी रखना होता है।
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