Earthquake: नई दिल्ली। नेपाल और उत्तर भारत में मंगलवार की रात भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र नेपाल का मणिपुर रहा और तीव्रता 6.3 की रही। नेपाली मीडिया ने बताया कि भूकंप की वजह से दोती जिले में एक घर गिरने से 6 लोगों की जान चली गई। वहीं, भारत में […]
नई दिल्ली। नेपाल और उत्तर भारत में मंगलवार की रात भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र नेपाल का मणिपुर रहा और तीव्रता 6.3 की रही। नेपाली मीडिया ने बताया कि भूकंप की वजह से दोती जिले में एक घर गिरने से 6 लोगों की जान चली गई। वहीं, भारत में इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है। आइए आपको बताते हैं कि भूकंप आता क्यों है और इसका अंदाजा कैसे लगाया जाता है?
भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार भूकंप आने की असली वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल होती है। इसके साथ ही उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग के कारण भी भूंकप आता है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर मापी जाती है। अगर स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता होती है तो इसे हल्का भूकंप माना जाता है, वहीं तीव्रता 6 से अधिक होती हे तो इसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है।
बता दें कि भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। ये लहर सैकड़ों किलोमीटर तक फैली होती है, जिससे कंपन होता है और धरती में दरारें पड़ जाती हैं। भूकंप का अगर कम गहराई पर होता है तो उससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी नजदीक होती है, जिससे तबाही ज्यादा होती है।
गौरतलब है कि नेपाल में भूकंप से तबाही का पुराना इतिहास रहा है। पिछले लगभग 100 सालों में भूकंप 20 हजार से ज्यादा नेपाली लोगों की जान ले चुका है। हालिया वर्षों की बात करें तो 25 अप्रैल 2015 को दोपहर करीब 12 बजे नेपाल में 7.8 की तीव्रता वाला विनाशकारी भूकंप आया था। इसमें 9 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, वहीं 23 हजार से ज्यादा घायल हुए थे। इसका केंद्र लामजुंग नामक स्थान था। इससे पहले 1934 में नेपाल और उत्तर भारत में 8.0 की तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसमें करीब 11 हजार लोगों की मौत हुई थी।
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