September 8, 2024
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बिहार में हाईकोर्ट ने क्यों रद्द किया 65% आरक्षण… अब क्या करेगी नीतीश सरकार?

  • WRITTEN BY: Vaibhav Mishra
  • LAST UPDATED : June 20, 2024, 7:33 pm IST

पटना: पटना हाईकोर्ट से गुरुवार (20 जून) को बिहार की नीतीश सरकार को बड़ा झटका लगा. उच्च न्यायालय ने सरकार के आरक्षण बढ़ाने वाले फैसले को रद्द कर दिया है. मालूम हो कि नीतीश सरकार ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 फीसदी तक कर दिया था, जिसे अब पटना हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है.

65% आरक्षण क्यों रद्द हुआ?

बता दें कि बिहार विधानसभा में 9 नवंबर 2023 को आरक्षण संशोधन विधेयक पारित हुआ था. जिसके तहत जातिगत आरक्षण के दायरे को बढ़ाकर 65% कर दिया गया था. ये आरक्षण के लिए तय अधिकतम सीमा यानी 50 फीसदी से ज्यादा था. इसके बाद आज यानी 20 जून को पटना उच्च न्यायालय ने आरक्षण सीमा बढ़ाए जाने के बिहार सरकार के इस फैसले को खारिज कर दिया. अदालत ने माना कि बिहार सरकार का यह फैसला संविधान के समानता के अधिकार यानी अनुच्छेद 16(1) और अनुच्छेद 15(1) का उल्लंघन है.

अब बिहार सरकार क्या करेगी?

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 1992 में इंदिरा साहनी केस पर फैसला देते वक्त कहा था कि आरक्षण की सीमा 50% होनी चाहिए, लेकिन विशेष परिस्थितियों में इस आरक्षण सीमा को तोड़ा भी जा सकता है. अगर रिजर्वेशन की लिमिट बढ़ाने के प्रस्ताव को संविधान की 9वीं अनुसूची के अंतर्गत रखा जाए तो उसके इस फैसले को किसी भी न्यायिक समीक्षा से सुरक्षा मिल हासिल हो जाएगी. यानी कि अदालत इसकी समीक्षा नहीं कर पाएगा. बता दें कि इसके लिए राज्य सरकार को अपने बिल को केंद्र सरकार के समक्ष रखना होगा, फिर केंद्र अगर सहमत हुआ तो इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में रख सकता है.

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