नई दिल्ली: बांग्लादेश में प्रदर्शन बेकाबू हो गया है. प्रदर्शनकारी ढाका स्थित प्रधानमंत्री हाउस में घुस चुके हैं. वहीं शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद ढाका छोड़ दिया है. बताया जा रहा है कि वो भारत में शरण लेंगी. छात्रों के प्रदर्शन से आखिर क्यों शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा? हम आपको शेख हसीना के बैकफुट पर आने के 5 बड़े कारण बता रहे हैं.
सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर छात्रों ने बांग्लादेश में प्रदर्शन कर रहे थे. ये प्रदर्शन देखते ही देखते आंदोलन में बदल गया. यह विवाद उस 30% आरक्षण को लेकर है जो स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को दिए जा रहे हैं. छात्रों का आरोप है कि सरकारी नौकरियां बांग्लादेश में मेरिट के आधार पर नहीं दी जा रही है.
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर शुरु हुए छात्र आंदोलन में विपक्षी दल भी शामिल हो गए. विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने खालिदा जिया के नेतृत्व में हसीना सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध किया और लाखों की भीड़ जुटाकर हसीना की कुर्सी को हिला दिया. सरकार भी विपक्ष के विरोध का सामना करने में असफल रही.
बांग्लादेश में चल रहे छात्र आंदोलन में सेना ने भी सरकार का साथ देने से इनकार कर दिया, प्रदर्शनों में 300 लोगों की जान जा चुकी है. बांग्लादेश की सेना ने कहा कि वह प्रदर्शनकारियों पर गोलियां नहीं चलाएगी.
बांग्लादेश में छात्र आंदोलन में पाकिस्तान का भी हाथ है. बांग्लादेश की सिविल सोसायटी ने पाकिस्तान उच्चायोग पर आरोप लगाया है कि वो कट्टरपंथी छात्र प्रदर्शनकारियों का समर्थन कर रहा है. बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में अंदरखाने छात्रों को समर्थन के जरिए पाकिस्तान हस्तक्षेप कर रहा है.
बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब थी और इस आंदोलन से और झटका लगा है. बांग्लादेश में तेजी से बेरोजगारी बढ़ रही है. हसीना लंबे समय से बांग्लादेश की सत्ता संभाल रही हैं. हाल ही में जब वो फिर से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं तो बेरोजगारों छात्रों का गुस्सा बढ़ गया और सड़क पर उतरकर छात्र आंदोलन करने लगे.
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