नई दिल्ली: गृह मंत्रालय के अनुसार साल 2021 में 163,370 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी. संसद में पेश किए गए दस्तावेज़ में बताया है कि इन लोगों ने निजी वजहों से नागरिकता छोड़ने का फैसला लिया है। सबसे अधिक 78,284 लोगों ने अमेरिकी नागरिकता के लिए भारत की नागरिकता छोड़ी, इसके बाद 21,597 […]
नई दिल्ली: गृह मंत्रालय के अनुसार साल 2021 में 163,370 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी. संसद में पेश किए गए दस्तावेज़ में बताया है कि इन लोगों ने निजी वजहों से नागरिकता छोड़ने का फैसला लिया है।
सबसे अधिक 78,284 लोगों ने अमेरिकी नागरिकता के लिए भारत की नागरिकता छोड़ी, इसके बाद 21,597 लोगों ने कनाडा और 23,533 लोगों ने ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता ली।
चीन में रह रहे भारत के 300 लोगों ने वहाँ की नागरिकता ले ली और 41 लोगों ने पाकिस्तान की. साल 2020 में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या लगभग 85,256 थी और साल 2019 में 144,017 लोगों ने नागरिकता छोड़ी थी।
साल 2015 से 2020 के बीच आठ लाख से अधिक लोगों ने नागरिकता छोड़ दी, वहीं 2020 में इन आंकड़ों में कमी देखने को मिली थी लेकिन इसके पीछे की वजह कोरोना माना जा रहा है।
विदेशी मामलों के जानकार हर्ष पंत ने कहा कि इस बार के आँकड़ों में बढ़त का कारण ये हो सकता है कि पिछले साल के कुछ ऐसे लोग जो कोरोना के वजह से काम बंद होने पर नागरिकता नहीं ले पाए, उन्हें इस बार नागरिकता मिली होगी। भारत के नागरिक किसी और देश की नागरिकता बनने के बाद फिर अपने देश में नागरिकता की अनुमति नहीं देता है।
लगभग 326 भारतीयों ने पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात में रहते हुए अपनी नागरिकता त्याग कर दी. उन्होंने अल्बानिया, फ्रांस, माल्टा, पाकिस्तान, फिलीपींस, पुर्तगाल, एंटीगुआ, बारबुडा, बहरीन, बेल्जियम, साइप्रस, आयरलैंड, ग्रेनाडा, जॉर्डन, मॉरीशस, नॉर्वे, सिंगापुर, स्पेन, श्रीलंका, वानुअतु जैसे देशों में नागरिकता के लिए निवेदन किया।
जानकारों का कहना है कि अक्सर लोग बेहतर जीवन, अच्छी शिक्षा और रोजगार के लिए विदेश में बसने का फैसला लेते हैं. 1987 में इस बारे में एक विस्तृत अध्ययन किया गया था कि लोग भारत छोड़ अमेरिका को किन कारनों से चुनते हैं. अमेरिका में बसे भारतीयों पर गहन अध्ययन करने वाले आर्थर डबल्यू हेलवेग ने कहा कि भारत छोड़ने के पीछे धन सिर्फ एक वजह है।