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आख़िर लोगों को दफ़्तरों से क्यों निकाला जा रहा है? क्या इसके पीछे मंदी है वजह

नई दिल्ली: टेक कंपनियाँ हमेशा से ही सुर्ख़ियों में बनी रहती है। कभी तमाम गैजेट को बाज़ार में पेश करने को लेकर तो कभी बड़ी तादाद में अपने मुलाज़िमों को बर्ख़ास्त करने को लेकर। महज़ एक साल के मियाद पर नज़र डालें तो बड़ी-बड़ी टेक (Tech) कंपनियों ने करीबन 70,000 से ज़्यादा कर्मियों को नौकरी […]

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आख़िर लोगों को दफ़्तरों से क्यों निकाला जा रहा है? क्या इसके पीछे मंदी है वजह
  • January 27, 2023 5:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: टेक कंपनियाँ हमेशा से ही सुर्ख़ियों में बनी रहती है। कभी तमाम गैजेट को बाज़ार में पेश करने को लेकर तो कभी बड़ी तादाद में अपने मुलाज़िमों को बर्ख़ास्त करने को लेकर। महज़ एक साल के मियाद पर नज़र डालें तो बड़ी-बड़ी टेक (Tech) कंपनियों ने करीबन 70,000 से ज़्यादा कर्मियों को नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया है।

 

तेज़ी से बर्ख़ास्त हुए लोग

आपको बता दें, इसमें हैरान करने वाली बात यह है कि कोरोना महामारी के ख़त्म होने के बाद जहाँ देश-दुनिया पटरी पर आ रही थी वहीं इन्हीं सब के बीच बड़े तबके में लोगों को दफ़्तरों से निकाला जा रहा है। इसमें तमाम बड़ी कंपनियाँ शामिल है।

 

बर्ख़ास्तगी की वजह

आपको बता दें, इसमें डाउनस्ट्रीम या छोटी कंपनियाँ शामिल नहीं है। जानकारोें की राय में कुछ अहम वजहें हैं जिसकी वजह से कंपनियाँ अपने मुलाज़िमों को बर्ख़ास्त कर देती है। इनमें से पहली वजह है ग्लोबल मंदी। जी हाँ, कोरोना काल के बाद तमाम देश अर्थव्यवस्था बंदिशों से गुज़र रहे हैं। साथ ही इसके पीछे की जो एक और वजह सामने निकल कर आई है वह एनुअल कैश टारगेट (Annual Cash Target) को हासिल करने के नाकाम साबित होना।

 

जब नहीं पूरा कर पाती टारगेट

जब कंपनी अपने तय किए गए टारगेट को पूरा नहीं कर पाती तो अनायास ही अपने कर्मियों को निकालने लग जाती है। ज़ाहिर है कंपनी के ऊपर मुनाफ़ा कमाने और तय टारगेट को पूरा करने का ज़ोर रहता है। ऐसा नहीं करने पर कंपनी नुकसान में चली जा सकती है। जिसके चलते यह फैसला लिया जाता है।

 

आगे क्या होगा?

गौरतलब है कि बर्ख़ास्त की ऐसी सुर्ख़ियाँ आम लोगों के लिए बहुत मायने नहीं रखतीं, इससे उसके कामकाज पर किसी किस्म का असर नहीं पड़ता है। लेकिन प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लोगों तमाम कर्मियों के ऊपर बर्ख़ास्तगी की तलवार लटकी रहती है। वैसे जहाँ इन कंपनियों में बर्ख़ास्तगी होती है तो वहीं अगले ही पल ज़रूरत के मुताबिक़ नए मुलाज़िमों को दाख़िल भी किया जाता है।

 

 

किस कंपनी ने कितने कर्मी निकाले?

 

Alphabet – 12,000 लोग
• Amazon – 18,000 लोग
• Meta – 11,000 लोग
• Twitter – 4,000 लोग
• Microsoft – 10,000 लोग
• Salesforce – 8,000 लोग
• Wipro – 400 लोग
• Swiggy – 380 लोग
• MediBuddy – 200 लोग
• Hailstone – 200 लोग
• Sophos – 450 लोग

इसके अलावा भी कई सारी कंपनियों ने तेज़ी से लोगों को दफ़्तरों से निकाला है। ऐसे में लोग कयास लगा रहे हैं कि इसके पीछे कंपनियों के शेयर में भी गिरावट एक वजह हो सकती है।

 

 

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