मुस्लिम लड़कियों का क्यों कराया जाता है खतना? हराम की बोटी समझकर काट फेंकते हैं शरीर का एक अंग

नई दिल्ली। यदि कोई आपके शरीर का एक अंग जबरदस्ती कांटकर फेंक दें तो इसे जायज नहीं ठहरा सकते। हालांकि ऐसा किया जा रहा है। भारत समेत दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जहां पर मुस्लिम लड़कियों का खतना किया जाता है। रूढ़िवादी मुसलमानों के बीच एक महिला तब तक पवित्र और अच्छी नहीं मानी जाती जब तक उनका खतना न हुआ हो। बोहरा मुस्लिम समुदाय में ‘क्लिटरिस’ को हराम की बोटी माना जाता है।

बिना खतना के महिला अपवित्र

बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मिस्र में इस प्रथा को बैन करने से पहले हर मुस्लिम महिलाओं को इस खौफनाक दर्द से गुजरना पड़ता था। कहा जाता था कि जिन महिलाओं का खतना नहीं हुआ रहता है, वो गलत महिला मानी जाती है जबकि जिनका हुआ रहता है, वो अच्छी महिला होती हैं। भारत में भी बोहरा मुस्लिम समुदाय की महिलाओं का खतना किया जाता है। बोहरा आबादी आमतौर पर महाराष्ट्र, गुजरात ,राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में रहती हैं। यह आबादी काफी समृद्ध है लेकिन इसके बाद भी उनलोगों में खतना जैसे रूढ़िवादी परम्पराएं चल रही हैं।

पति के लिए रहती हैं वफादार

खतना करवाना पूरी तरह से गैर क़ानूनी है लेकिन फिर भी कई देशों में मुस्लिम महिलाओं का कराया जाता है। इस्लाम में इसे रस्म समझा जाता है, जिसमें महिलाओं के प्राइवेट पार्ट के ऊपर के हिस्से को काट देते हैं। महिलाओं के जननांग को सिल दिया जाता है या क्लिटोरिस को काटकर फेंक दिया जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से महिलाओं में यौन इच्छा कम हो जाती है और वो पति के लिए वफादार रहती हैं। दुनियाभर में लगभग 23 करोड़ लड़कियों का खतना हो चुका है। इनमें से ज्यादातर लडकियां 15 साल से कम उम्र की है। फ्रेंच गुयाना में 96 फीसदी महिलाओं का खतना हुआ रहता है। माली में 85.2 फीसदी महिलाएं इस खौफनाक प्रक्रिया से गुजर चुकी हैं। सोमालिया में 98 फीसदी महिलाओं का खतना हो रखा है।

 

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