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Who is Zufar Ahmad Farooqui Ayodhya Case: कौन हैं जफर अहमद फारूकी जिन्होंने कबूला कि भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में ही हुआ

नई दिल्ली/लखनऊ. राम मंदिर-बाबरी मस्जिद अयोध्या जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है. इसी बीच मुस्लिम पक्ष की तरफ से एक चौंकाने वाला बयान सामने आया. उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल बोर्ड चीफ जफर अहमद फारूकी ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही कबूल लिया कि भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था. अयोध्या मामले पर 5 अगस्त से 16 अक्टूबर के बीच 40 दिन सुप्रीम कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष के बीच विवादित जमीन को लेकर तीखी बहस हुई. दोनों पक्ष जमीन पर अपने कब्जे के लिए अड़े रहे. मगर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चीफ जफर अहमद फारूकी का भगवान राम के अयोध्या में जन्म पर कबूलनामा सामने आने पर चर्चा का विषय बन गया है.

टाइम्स नाऊ चैनल ने बुधवार को जफर अहमद फारूकी का एक वीडियो जारी किया, जिसमें वे साफ तौर पर कहते हुए नजर आ रहे हैं कि हमने कभी नकारा नहीं कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था. यह लोगों की आस्था का विषय है. हमने यह कभी नहीं कहा कि ये वो अयोध्या नहीं जहां राम का जन्म हुआ.

जफर अहम फारूकी सुन्नी वक्फ बोर्ड के चीफ है. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस में पक्षकार है. बोर्ड ने कोर्ट में विवादित जमीन पर मस्जिद होने का दावा पेश किया था.

बुधवार को अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का आखिरी दिन था. इसी बीच खबर आई थी कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड अयोध्या केस में अपनी अपील वापस ले लेगा. हालांकि बाद में बोर्ड की तरफ से इन रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया गया.

अयोध्या जमीन विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सुनवाई पूरी कर दी है. 40 दिन चली इस सुनवाई में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शिया वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान, राम मंदिर पुनरूद्धार समिति, निर्मोही अखाड़ा, निर्वाणी अखाड़ा समेत अन्य पक्षकारों ने अपनी दलीलें रखीं और विवादित जमीन पर दावा पेश किया.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने अयोध्या मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रिटायर होने वाले है. माना जा रहा है कि अयोध्या में विवादित जमीन पर फैसला 17 नवंबर से पहले ही आ जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने तीन दिन के भीतर सभी पक्षकारों से मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर भी जवाब मांगा है.

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क्या होता है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस में सभी पक्षों से 3 दिन में मांगा है जवाब

सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में सबसे लंबी सुनवाई: पहली केशवानंद भारती केस 68 दिन, दूसरी अयोध्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद केस 40 दिन, तीसरी आधार कार्ड वैधानिकता केस 38 दिन

Aanchal Pandey

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