प्रयागराज. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ भवन के गेट से शुरू हुआ हंगामा पूरा कैंपस में फ़ैल गया. आलम ये था कि प्रयागराज की कई थानों की फोर्स के साथ आरपीएफ और पीएसी के बल को भी स्थिति को काबू में करने के लिए तैनात किया गया, तब जाकर स्थिति नियंत्रण में हुई, लेकिन मंगलवार को […]
प्रयागराज. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ भवन के गेट से शुरू हुआ हंगामा पूरा कैंपस में फ़ैल गया. आलम ये था कि प्रयागराज की कई थानों की फोर्स के साथ आरपीएफ और पीएसी के बल को भी स्थिति को काबू में करने के लिए तैनात किया गया, तब जाकर स्थिति नियंत्रण में हुई, लेकिन मंगलवार को भी सोमवार के हंगामे की गूँज सुनाई देती रही. दरअसल, ये बवाल विवेकानंद पाठक की एंट्री को लेकर शुरू हुआ, गार्ड्स ने उन्हें रोका और छात्रों से इसपर उनकी बहस हो गई, जिसके चलते मामला बढ़ गया और हंगामा मच गया. आइए आपको बताते हैं कि विवेकानंद पाठक है कौन-
यूपी के बलिया जिले के रहने वाले विवेकानंद पाठक के पिता प्राथमिक विद्यालय से सेवानिवृत्त हुए एक शिक्षक हैं और उनकी माता एक गृहिणी हैं. NSUI से छात्र-राजनीति की शुरुआत की और NSUI में विभिन्न पदों पर थे, जिस समय वे NSUI के राष्ट्रीय सचिव रहे उस समय उन्होंने इलाहाबाद में छात्रों के विभिन्न आंदोलनों के लिए आवाजें उठाई थी.
इसके अलावा विवेकानंद पाठक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्र संघ के बहाली के सूत्रधार भी रहे हैं, ऐसे में ये भी कहा जाता है कि जब 2005 से छात्रसंघ चुनाव बंद हुआ तो विवेकानंद ने छात्रसंघ बहाली को लेकर बहुत अहम भूमिका निभाई थी, चाहे SSC का आंदोलन हो, UPSC के ख़िलाफ़ आंदोलन रहा हो या कोरोना काल में मकान मालिकों के खिलाफ़ आंदोलन हो विवेकानंद पाठक हमेशा छात्रों के आंदोलन में शामिल रहे हैं.
इसके चलते विवेकानंद पाठक विश्वविद्यालय कैंपस में पढ़ने वाले छात्रों के बीच बहुत ज्यादा लोकप्रिय हैं, ये वो आंदोलनकारी हैं, जिनसे 2009 में राहुल गांधी नैनी जेल में मिलने के लिए भी गए थे, उस समय भी किसी बड़े आंदोलन के चलते विवेकानंद जेल गए थे. वर्तमान में विवेकानंद पाठक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव है और प्रियंका गांधी के कोर कमेटी के सदस्य भी हैं.
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