नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पिनाकी चंद्र घोष (PC Gosh) को लोकपाल नियुक्त किया जा सकता है. नौकरशाहों और राजनीतिक भ्रष्टाचारों पर नजर रखने के लिए साल 2013 में लोकपाल कानून पारित किया गया था. लोकपाल को भ्रष्टाचार में लिप्त हर सरकारी कर्मचारी, सांसद और मंत्री तक पर कार्रवाई करने का अधिकार, चाहे वह देश का प्रधानमंत्री ही क्यों न हो. जाहिर सी बात है लोकपाल के लागू होने से देश के आम लोगों को काफी राहत पहुंचेगी. साथ ही उच्च स्तर पर खुलेआम अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे अधिकारियों और नेताओं पर नकेल कसी जा सकेगी.
देश में लोकपाल के आने से बड़ा बदलाव संभव है. लोकपाल की कार्य प्रणाली पार्दर्शिता के साथ काम करेगी जिससे किसी के मन में कभी कोई सवाल न उठे. लोकपाल का अध्यक्ष भी जिस व्यक्ति को बनाया जाएगा, उसे सरकार में किसी भी प्रकार के राजनीतिक और राजनयिक पद लेने की अनुमति नहीं होगी. और न ही वह सरकार में किसी भी लाभ के पद पर नियुक्त किया जाएगा. इसके साथ ही उस व्यक्ति के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद अगले पांच साल तक लोकसभा या विधानसभा चुनाव लड़ने पर रोक रहेगी.
जानिए कैसे काम करेगा लोकपाल सिस्टम
1. केंद्र में एक संस्था बनाई जाएगा जिसे लोकपाल कहा जाएगा. उसके अंतर्गत हर एक राज्य में एक लोकायुक्त बनाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की तरह, लोकायुक्त पर भी सरकार के दायरे के अंदर नहीं आएंगे. जिस वजह से कोई भी मंत्री या ब्यूरोक्रेट जांच के दबाव नहीं दे सकेगा.
2. लोकपाल के बाद सालों तक चलने वाले भ्रष्टाचार के मामले अब जल्द सुने जाएंगे जिससे अपराध में लिप्त आरोपियों को जल्द सजा मिले. लोकपाल के तहत किसी भी भ्रष्टाचार के मामले की जांच को 1 साल में पूरा करना होगा, अगली 1 साल में ट्रायल. और 2 साल के अंदर कोई भी भ्रष्टाचारी अधिकारी और नेता जेल के अंदर.
3. किसी भी भ्रष्टाचार मामले में जो भी सरकार का नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई अपराधी की सजा के दौरान की जाएगी.
देश के आम आदमी को कैसे मिलेगी मदद
4. अगर किसी व्यक्ति का काम सरकारी दफ्तरों में समय से पूरा नहीं हो रहा तो लोकपाल की ओर से संबंधित अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाएगा, जो बतौर मुआवजा उस व्यक्ति को दिया जाएगा, जिसका काम देरी से हुआ.
5. जैसे अगर आपका राशन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर कार्ड नहीं बना, पुलिस में आपका केस दर्ज नहीं हो रहा है या इससे जुड़ा कोई भी कार्य तय समय से पूरा नहीं हो रहा. ऐसे में लोकपाल इन कार्यों को 1 महीनें में पूरा कराएगा.
क्या बचने के लिए सरकार भ्रष्टाचारी या कमजोर लोगों को लोकपाल मेंबर्स बना सकती है?
इसका सवाल का जवाब साफतौर पर न है क्योंकि इसके सदस्य का चयन जज, देश के नागरिक और संवैधानिक संस्थाएं करेंगी. इनमें किसी भी राजनीतिक दल का कोई नेता या उससे जुड़ा व्यक्ति शामिल नहीं होगा. पूरी पार्दर्शित प्रणाली के तहत लोकपाल सदस्य का चयन किया जाएगा.
अगर कोई लोकपाल सदस्य भ्रष्ट हो जाए ?
लोकपाल या लोकायुक्त की पूरी कार्य प्रणाली पूरी तरह पार्दर्शित होगी. लोकपाल के किसी भी अधिकारी के खिलाफ शिकायत करने पर उसकी तुरंत जांच की जाएगी. अगर कुछ भी गलत पाया जाता है तो 2 महीनों के अंदर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा. सीवीसी और सीबीआई भी लोकपाल के अंतर्गत रहेंगी. लोकपाल को पूरी ताकत होगी कि वह जांच के दौरान आजादी के साथ किसी भी अधिकारी, न्यायधीश या नेता से पूछताछ कर सकता है. वहीं अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर किसी पीड़ित को दबाया जा रहा है तो उसे सुरक्षा प्रदान करना लोकपाल की जिम्मेदारी होगी.
लोकपाल के मूल कर्तव्य
1. लोकपाल के पास आने वाले भ्रष्टाचार के मामलों की न्यायसीमा तय करना.
2. यह पता लगाना कि मामला सच है या झूठी शिकायत पर आधारित है.
3. गलत शिकायत करने पर पैसों का जुर्माना लगाना अथवा कुछ समय के लिए जेल भी भेजा जा सकता है.
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